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ये सब बकवास की राजनीति चल रही है किसी को कोई काम धंधा नही रह गया ।
शिवसेना का एक टीवी चैनल पर हमला। निंदनीय , शर्मनाक , है..आइबिएन -लोकमत पर हमला कर दूसरी बार निकिल वागले को टार्गेट किया है..शिवसेना अपना विरोध अपने अखबार सामना में भी दर्शा सकती थी..लकिन सायद यह इलेक्शन के बाद की भोख्लाहत है..अब तो यह साबित हो गया है की मराठी मानुस- मराठी अस्मिता के लिए नही शिवसेना तो सिर्फ़ अपने लिए जीती है..दूसरी बात आइबिएन-लोकमत.. के लिए सारे पत्रकार सडको पर उतर रहे है..लकिन क्या एस समूह का कोई भी सदयस्य इन दुनिया भर के समर्थको के भावना की kadra करेगा... shaayad नही..बिल्कुल नही...?????? आप देखना चाहते है तो देख लेना २२ नोव. को शिवसेना के बड़े नेता और जलगाँव के शिवसेना विधायक श्री सुरेश जैन का जन्मदिन है..और २२ नोव. को जलगाँव लोकमत में विज्ञापनो का हाल ही यह साबित कर देगा...खैर.. इस हमले की खुल कर निंदा करनी चाहिए..महारास्त्र सरकार की ख़ामोशी ही ऐसे लोगो को बढ़ावा दे रही है॥ शुभकामना..

सबका बचपन

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खिलती जाड़े की धुप में भीनी भीनी सर्दी के बीच ठिठुरता सा नन्हा बचपन मन में कसक सी काश थोड़ी देर और तकिये में सर छुपा कर रजाई के कोने से ढांक ,पढ़ाई लिखाई से दूर थोड़ा सो लूँ फिर जीवन भर तो पापा की तरह जूझना है मुझे इस जहाँ से ... फिर एक नजर खिड़की को चीरती हुई जाती है पेड़ के किनारे बैठे धुप सेकते उस लाचार बालक पर, जो चाह कर भी नही सर छुपा सकता मखमली रजाई के भीतर ... मै तो सोच रहा था की जीवन भर तो पापा की तरह जूझना है मुझे इस जहाँ से..लेकिन वो आज ही निकल पड़ा है मुझ से पहले ही अपने जीने का समान जुटाने... काश सबका बचपन एक सा होता.. अहले