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अप्रैल, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कमल के गुणों ने दी कमल लगाने की प्रेरणा

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कमल के गुणों ने दी कमल लगाने की प्रेरणा                                     ( पूना से लौट क र विशाल चड्डा ) पूना शहर के चिंचवड परिसर में ए क लाँड्री व्यवसायी द्वारा कमल के गुणों से प्रेरित होते हुए अपने इस शौ क को  कमल  की नर्सरी में परिवर्तित क रते हुए बागवानी के ए क स्वरूप को  प्रस्तुत किया गया है । क हा जाता है कि   कमल जैसा सुंदर फूल क ीचड में खिलता है । किंतु इन सब क हावतों को  क हावत ही सिद्ध क रते हुए पूना के चिंचवड में रहने वाले सतीष गादिया ने १५ साल पहले क मल के फूलों की नर्सरी बनाने का यत्न प्रारंभ किया ।                                         आज उनका यह प्रयास सकारात्म क प्रस्तुति के साथ ए क अच्छी खासी पहचान व शोध का विषय बन गया है । सतीष गादिया की इस नर्सरी में क मल की चार जाति, ३० प्रजाति के समावेश के साथ विदेशी क मल की प्रचलित प्रजातियों के १० विभिन्न नस्लों का भी समावेश है । सतीष गादिया द्वारा इस क मल की नर्सरी को  प्रारंभ किये जाने के पीछे भी ए क अलग दास्तान है । लाँड्री व्यवसाय के चलते क पडों के लाने व ले जाने के लिए लोगों के घरों त क जाने के द

निसर्ग व अध्यात्म का संयोजन मनूदेवी तीर्थक्षेत्र

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खान्देश के पर्यटन स्थल के रूप में निसर्ग व अध्यात्म का  आकर्षक संयोजन है मनूदेवी तीर्थक्षेत्र   खान्देश के जलगांव जिले में पर्यटन की दृष्टि से अनेकों पुरातन स्थलों के विद्यमान होने के चलते इस भूमि को  पर्यटन के साथ साथ अध्यात्म के संयोजन का  केंद्र भी माना जाता है । भारतीय मानचित्र पर अजंता ऐलोरा की गुफांओं के पर्यटन के लिए समीपस्थ रेलवे मार्ग के रूप में उल्लेखित जलगांव रेलवे स्टेशन न केवल बौद्ध परम्पराओं के इस विशाल धरोहर का  साक्षी है, बल्कि  अन्य छोटे छोटे पर्यटन स्थलों के समावेश के साथ एक वैभवशाली संपदा बन चुका  है । हालांकि  सरकारी तौर पर खान्देश के पर्यटन का  अभी बहुत विकास होना बाकी है । कि न्तु यदि खान्देश के इन धरोहरों का  तथ्यपूर्ण व विस्तृत विवेचन पर्यटन क्षेत्र में प्रस्तुत कि या जाए तो, इससे जिले के पर्यटन विकास को  अधिक लाभ पहुँचेगा ।     खान्देश के जलगांव जिले को  महाराष्ट्र में अधिक तापमान वाला गरम जिला माना जाता है । जिसके चलते लोगों द्वारा अनुमान लगा लिया जाता है कि  जलगांव जिले में पर्यावरण संतुलन के अभाव के अलावा प्राकृति संपदाओं की कमी होगी । कि न्तु

हरिजनों के लिए खुला पहला मंदिर

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खिरोदा का विठ्ठल मंदिर हरिजनों के लिए खुला किया जानेवाला पहला मंदिर             विशाल रावेर तहसील के अंतर्गत आनेवाले खिरोदा गांव को ऐतिहासिक  सम्मान प्राप्त है। कई मायनों में राज्यभर में प्रसिध्द खिरोदा गांव राजनैतिक  स्तर पर तो ख्याति रखता ही है। साथ में इतिहास के पन्नों में जातिगत भेदभाव दूर करने का एक  सुनहरा अध्याय भी खिरोदा से जुडा हुआ है। खिरोदा परिसर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय धनाजी नाना चौधरी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलनों के कार्यों को देखते हुए यह कहा जा सकेगा कि, फैजपुर में हुए कोंग्रेस के पहले ग्रामीण अधिवेशन की सारी कमान खिरोदा से संचलित हुयी थी। महात्मा गांधी का फैजपुर से खिरोदा तक  बैलगाडी से आगमन एवं धनाजी नाना चौधरी के यहां वास्तव्य १९३२ की यह घटना खिरोदा गांव का महत्व बढा देती है। आज भले ही जलगांववासी इन ऐतिहासिक  क्षणों को विस्मरित कर चुके हो किंतु खिरोदा का एक  ऐतिहासिक  स्मरण रखनेवाला योगदान भारत की तत्कालीन जातिगत छुआछूट भेदभाव को समाप्त करने की पहल के रुप में याद रखा जायेगा। जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय धनाजी नाना चौधरी की प्रेरणा  से धन

## शुभकामनाएं देने वाली संस्थाचालिका पर राष्ट्रद्रोह मुक़दमे की मांग

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डा. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की शुभकामनाएं देने वाली संस्थाचालिका पर राष्ट्रद्रोह मुक़दमे की मांग जलगांव - गत सोमवार १८ अप्रैल को जलगाँव के भारिप बहुजन महासंघ की ओर से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सोंपते हुए विगत दिनों पाचोरा में हुए संविधान निर्माता डा. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के अपमान पर सम्बंधित संस्थाचालिका डा. अस्मिता पाटिल पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई l इस अवसर पर भारिप बहुजन महासंघ के जिला अध्यक्ष मुकुंद नन्नावरे ने जिलाधिकारी की ओर से निवासी उप जिलाधिकारी रमेश काले को एक ज्ञापन सोंपते हुए कहा कि गत गुरुवार १४ अप्रैल को देश भर में संविधान निर्माता डा. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का १२० वा जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया गया। किन्तु जलगांव के पाचोरा तहसील में एक अध्यापक निर्माण करनेवाली संस्था व उसकी संस्था अध्यक्षा द्वारा डा. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की शुभकामनाएं दिए जाने वाले होर्डिंग लगा कर महामना सहित सारे समाज का अपमान किया गया l मुकुंद नन्नावरे ने अपने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि सम्बंधित संस्थाचालिका डा. अस्मिता पाटिल द्वारा पढ़ा लिखा होने , पाचो

@@ बच्चों की मालिश हंसी खेल नही..!!

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नवजात बच्चों की मालिश करना हंसी खेल नही , २५ सालों से कठोर हाथों से नर्म मालिश कर रही है इंदूबाई सपकाले विशाल चड्ढा नवजात बच्चों को उनकी जन्म देने वाली माँ के हाथों की पहचान होने के कारण इन बच्चों को किसी और के द्वारा संभाले जाना स्वीकार नही होता । इससे प्रकृति की दी गयी बुद्धि ही कहा जायेगा ,कि नवजात बच्चे फौरन ही किसी दूसरे का हाथ पहचान कर रोना प्रारंभ कर देते है । ग्रामीण इलाको में आज के शहरी परिवेश की तुलना में बच्चों के जन्म के बाद जन्म देने वाली माँ एवं नवजाज शिशु की मालिश आदि करने की वैज्ञानिक परम्परा है । हालांकि शहरी जीवन में यह सब बातें दूर होते हुए आज के फिटनेस संस्थानों एवं सम्बन्धित दवाईओं , लेप आदि पर निर्भर हो चुकी है । किन्तु अर्ध शहरी व ग्रामीण भागों में अभी भी दादी माँ ·के नुस्खे से भरपूर जडी बुटियों यां पारम्परिक मसालों आदि से बने तेलों से मालिश करने एवं उसके बाद गर्म पानी से स्नान आदि करने की परम्पराऐं व्याप्त है । जलगांव में पिंप्राला हुडको परिसर में रहने वाली इंदूबाई सपकाले विगत २५ वर्षो से इन कार्यो को अंजाम देते हुए अब तक न जाने कितने बच्चों एवं उनकी मात

** आदरनिए बाबा साहब हम शर्मसार है...????

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देशभर ने मनाया डा. आंबेडकर का जन्मदिन, पाचोरा में दी गयी डा. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की शुभकामनाएं जलगांव - गत गुरुवार १४ अप्रैल को देश भर में संविधान निर्माता डा. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का १२० वा जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया गया। इसे देश के पढे लिखे समाज की विडंबना ही कहा जायेगा कि , जलगांव के पाचोरा तहसील में एक अध्यापक निर्माण करनेवाली संस्था व उसकी संस्था अध्यक्षा द्वारा डा. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की शुभकामनाएं दी गयी। हैरत की बात यह है कि , राष्ट्रवादी कोंग्रेस के महिला संगठन की पदाधिकारी कही जानेवाली इन संस्थाध्यक्षा द्वारा लाखो लोगों की अस्मिता को दांव पर लगाकर अपने सामान्य ज्ञान व राष्ट्र के प्रति जवाबदेही को उजागर कर दिया। हैरत की बात तो यह है कि , पाचोरा में डी.एड. व बी.एड. महाविद्यालय चला रहे संस्थान की अध्यक्षा द्वारा अपने चित्र के साथ इतनी बडी लापरवाही का उदाहरण सार्वजनिक किया गया और इसके विरोध में गुरुवार को दिनभर कोई भी आगे नहीं आया। प्राप्त जानकारी के अनुसार डा. बाबासाहब आंबेडकर के १२० वे जन्मदिन को मनाने के लिए जिले भर में बडे-बडे बैनर व होर्डींग लगाते हु

अन्ना देख तमाशा

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08 अप्रेल ११ को लिखा था दैनिक भास्कर में कुछ अपनों ने कहा की ब्लॉग पर डालो अण्णा हजारे के नाम पर सजने लगी दुकाने, समर्थन व स्वयंसेवी संगठन के रुप में उग आये कुकरमुत्ते विशाल चड्डा - जलगांव - प्रख्यात समाजसेवक अण्णा हजारे द्वारा लोकपाल विधेयक को मंजूर कराने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन प्रारंभ करते ही जलगांव जिले भर में अण्णा हजारे को समर्थन दिये जाने के नाम पर दुकाने सजने लगी। इन दुकानों के तहत प्रसार माध्यमों द्वारा प्रसिध्दी पाने ·की होड में गली, मुहल्ले के कथित समाजसेवक, स्वयंसेवी एवं भ्रष्टाचार से कहने के लिए कोसो दूर रहनेवाले लोगों ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर यू? तो अण्णा हजारे को अपना समर्थन जारी किया ! किंतु कही न कही खुद को चमकाने ·की दुकान खोलते हुए अनोखे समर्थन आंदोलनों से मीडिया ·को अपनी ओर आकर्षित ·करने ·का प्रयास ·किया। जलगांव में कार्यालय, विभिन्न तहसीलों ·के तहसीलदार ·कार्यालय या अन्य चौराहों पर १० गुना १० ·के मंडप सजाते हुए एक· ५० रुपये ·का बैनर लगाक·र अण्णा हजारे ·को समर्थन देने ·के लिए लोगों ·की भीड विगत दो-तीन दिन से देखी जा रही है। ऐसे में सूचना

युवा नमन ..

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माटी का एक ढेर जो देखा, युवा काल चिर योवन जागा, कृति रूप देने की अभिलाषा ने, कलाकार अवतरित करवाया मन में थी आकांछा गहरी, मन पर हावी वक़्त निराला, ऐसे निर्माणों के अवसर पर, नया - पुराना भेद प्रक्टाया सधे हुए हाँथ युवा के, पर अनुभव नहीं था और पुराना, यथार्थ स्वीकार न करने के गुर ने, फिर बना दिया उसको बेगाना कितना ही हम दिग्गज बन लें, तपे हुए पुरानो के आगे, वो साधक है और तपस्वी, उनके अनुभव वारे - न्यारे नमन है मेरा युवा काल का, उन कांपते मजबूत हांथो को, जो इस आधुनिकता में भी, स्पर्श कर रहे मूर्त रूप के मानव को....
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आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने के लिए समय मिला ... अब नियमित कुछ न कुछ लिखने का प्रयास करूँगा ॥ जल्दी ही मिलेंगे