धन्यवाद दिल्ली.. मैं जिंदा हूँ..!
धन्यवाद दिल्ली.. मैं जिंदा हूँ..! शीर्षक से ही अंदाज़ लग जाता है कि दिल्ली में आम आदमी के जीवन की कोई कीमत नहीं. घटना सोच कर सिरहन उठ जाती है की कैसे चंद पैसों की खातिर किसी पर भी हमला हो जाता है और प्रशासन लग जाता है अपनी खानापूर्ति में... बात २ अगस्त मंगलवार सुबह लगभग ४.३० बजे की है. मै अपने किसी पारिवारिक कार्य को पूरा कर नई दिल्ली के पहाड़गंज मेन रोड से रेलवे स्टेशन की और जा रहा था . सुबह का वक़्त होने के कारण ऑटो रिक्शा या साईकल रिक्शा कुछ भी उपलब्ध न हो सका . मजबूरन अपने व्हील बेग को लेकर मै पैदल ही रेलवे स्टेशन की ओर निकल पड़ा . कुछ दुरी तक पहुँचने के बाद अचानक पीछे से मेरी गर्दन , कंधे पर एक मोटे डंडे का वार हुआ , मै जब तक संभल पाता तब तक एक बलिष्ठ हाथों ने केंची बनाते हुए मेरे गले को इतनी जोर से दबाया की मैने अपनी आँखें फेर लीं , तब तक दूसरा व्यक्ति उसी मोटे डंडे से मेरी छाती पर वार किये जा रहा था. बस इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं.. किन्तु लगभग ३० मिनट बाद घटना स्थल पर जमा हुए लोगों के शोर ने मेरी तन्द्रा भंग की.. जागते ही