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खान्देश में रंगोली की चलती फिरती पाठशाला .. कुमुदिनी नारखेडे

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खान्देश की प्रसिध्द रंगोली प्रस्तुतकर्ता कुमूदिनी नारखेडे को राष्ट्रसेवा पुरस्कार का सम्मान जलगांव शहर सहित खान्देश भर में रंगोलियों के माध्यम से अपनी पहचान स्थापित करनेवाली श्रीमती कुमूदिनी नारखेडे को मणिभाई देसाई प्रतिष्ठान व नेहरू युवा केंद्र और क्रीडा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान के 'मणिभाई देसाई राष्ट्रसेवा पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गयी। विदित हो कि, यह पुरस्कार रंगोली व सांस्कृतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रदान किये जाते है। आगामी २७ अप्रैल को पूना के एस.एम.जोशी फाउंडेशन सभागृह, स्वारगेट में शाम 6 बजे संपन्न होनेवाले एक समारोह में श्रीमती कुमूदिनी नारखेडे को राष्ट्र सेवा पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रमुख अतिथीयों के रुप में राज्य ग्रामविकास मंत्री जयंत पाटिल, पिंप्री-चिंचवड की महापौर श्रीमती मोहिनी लांडे, पूना जिला परिषद के अध्यक्ष दत्ता भरणे आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहेंगे। खान्देश में रंगोली की चलती फिरती पाठशाला है कुमुदिनी नारखेडे जलगांव के पुराने शहर परिसर में रहने वाली श्रीमती कुमुदिनी विजय न

मक्खन के हनुमान

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मक्खन के हनुमान के रूप में मौजूद है जलगांव में ऐतिहासिक हनुमान मंदिर जलगांव शहरसे लगभग १५ किलोमीटर की दूरी पर रिधूर गांवमें हनुमानजी का ऐतिहासिक मंदिर देशभरमें अपने चमत्कार के रूपमे जाना जाता है। रिधूर गांवके अवचित हनुमान मंदिर के रूपमे पेहचाने जानेवाले हनुमानजीके इस पुरातन मंदिर की यह विशेषता है की  मंदिर मे आठ फु ट उची हनुमानजी की मूर्ती किसी पाषाण या धातू से नही बनाई गयी । इस पुरातन मंदिर की ऐतिहासिक विशेषता ये है की आठ फुट उचे हनुमानजीको मख्खन व सिंदूरसे  मूर्तीके रूपमे ढाला गया है। खास बात ये है की जलगांव जिलेकी ४५ डिग्री सेल्सीयस वाली गर्मीमे भी इस मूर्तीपर पिघलनेका कोइ परिणाम नही होता। जलगांव तहसीलके इस चम्तकारी देवस्थान को देखनेके लिए देशभरसे श्रध्दालूओका आगमन होता है। तापी नदी के किनारे बसे इस अवचित हनुमान मंदिर को स्थानिय मराठी भाषामे लोण्याचा मारोती के रुपमे उल्लेखीत किया जाता है। लगभग ९ हेक्टरके परिसर मे अवचित हनुमान मंदिर को सुशोभित किया गया है। मंदिर के निकटही एकादशी के मंदिर की भी स्थापना की गयी है। अवचत हनुमान मंदिर के उपर श्रीराम, लक्ष्मण