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मार्च, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पानी निकालने वाली मोटर साइकिल बनाने वाले विकास शिंदे

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खेती के औजार से लेकर जमीन से पानी निकालने वाली मोटर साइकिल बनाने वाले विकास शिंदे को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार,  राष्ट्रपति ने सराहा विकास के काम को जलगांव !   हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुये राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान के छठवे राष्ट्रीय संशोधन स्पर्धा में अमलनेर तहसील के पिंगलवाडा में रहनेवाले विकास शिंदे को उनके प्रयोगात्मक कार्यों व शोधात्मक प्रस्तुति के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के रुप में ५० हजार रुपये नगद व सम्मानचिन्ह के साथ नवाजा गया। पिंगलवाडा के विकास चैतराम शिंदे को प्रसिध्द वैज्ञानिक रघुनाथ माशेलकर के हांथो सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एनआइएफ के प्रोफेसर अनिल गुप्ता व अन्य मौजूद थे। राष्ट्रपति भवन प्रांगण में संपन्न हुये इस कार्यक्रम में देशभर से नव शोध प्रवर्तक अपनी संकल्पनाओं एवं शोधों के साथ उपस्थित हुये थे। कार्यक्रम में राष्ट्रपति महामहिम प्रतिभा देविसिंह पाटिल ने विकास शिंदे के उपकरणों खास तौर से ड्रिल मशिन को देखते हुए विकास शिंदे के कार्यों की सराहना की।  विदित हो कि, महाराष्ट्र के जलगांव, नंदुरबार, धुलिया जिलों से तैयार खान्देश को अब तक कलाकारों, क
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आदिवासियों का लोकप्रिय होली त्यौहार भोंग-या प्रारंभ खान्देश के आदिवासी बहुल इलाकों में स्थानीय लोकप्रिय होली त्यौहार के भोंग-या स्वरुप का  गुरुवार १ मार्च से शुभारंभ हुआ खान्देश व सीमा से लगे अन्य राज्यों की आदिवासी संस्कृति में होली के इस भोंग-या स्वरुप को विशेष महत्व दिया जाता है। जिसके लिए वर्ष भर अपने क्रिया कलापों में लिप्त आदिवासी समाज बडी ही प्रतिक्षा के साथ इस दिन का इंतजार करते है। आम तौर पर होली से लगभग ८ दिन पहले से आदिवासी समाज द्वारा भोंग-या त्यौहार की परंपरा प्रारंभ हो जाती है। जबकी होली के लगभग एक माह पूर्व से आदिवासी व पावरा समाज द्वारा तांडा गांव में होली के पूर्व आगमन का स्वागत करते हुए विधीपूर्वक तैयारिंया की जाती है। इस भोंग-या त्यौहार के अंतर्गत आदिवासी समाज के युवा-युवतियों द्वारा विभिन्न प्रकार के रंगबिरंगे, तोता-मैना, शेर आदि अन्य प्रकार के मनोरंजक वेष धारण करते हुए आनंदपूर्वक एक साथ उपस्थित होकर यह त्यौहार मनाया जाता है। ऐसे में रंगो आदि के प्रयोग से परे इन आदिवासी समाज द्वारा प्रेम, उमंग, आपसी सौहार्द आदि के रंगो भरा स्नेह एक दूसरे पर उडेला जाता है।

गणेशजी की अप्रतिम मूर्तियां

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जलगांव की संगीता घोडगांवकर के पास है गणेशजी की अप्रतिम मूर्तियां, एक हजार से अधिक गणेश मूर्तिओं के संग्रह को देखने आते है विदेशी सैलानी  देश भर में गणोशोत्सव की धूम के बीच गणेश भक्तों को विभिन्न पंडालों में तरह तरह की भव्य मूर्तियां सहज ही आकर्षित कर देती है। ऐसे में पंडालों के बीच विभिन्न मुद्राओं में बैठे गणपति अनायास ही लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाते है ।         किन्तू इन सब के बीच जलगांव की संगीता घोडगांवकर के पास के गणेश मूर्तिओं के संग्रह को देख कर उनके इस श्रद्धांवत शौक को कोई भी सराहे बिना नही रह सकता । जलगांव की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में कार्य कर चुकी अब गृहणी के रूप में अपना घरबार सम्भालने वाली संगीताजी के गणेश मूर्तिओं के संकलन के इस शौक ने उनके पास विभिन्न मुद्राओं एवं दुर्लभ मुद्राओं वाली गणेश मूर्तिओं का एक अच्छा खासा संकलन तैयार कर दिया है । प्रारंभ में संगीता घोडगांवकर की गणेशजी के प्रति अगाध श्रद्धा के बारे में कौन जानता था कि, उनकी यह श्रद्धा आगे चल कर गणेशजी की आकर्षक लुभावनी मूर्तिओं के संगलन के रूप में उन्हें महाराष्ट्र ही नही बल्कि वि