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बुरहानपुर में मुगल कालीन यादें पानी के रूप में आज भी ताजा

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बुरहानपुर में मुगल कालीन यादें पानी के रूप में आज भी ताजा,   वर्ष १६१५ पानी के रचनात्मक प्रयास अभी तक जारी                 महाराष्ट्र भर में खान्देश को सबसे ज्यादा गरम क्षेत्र माना जाता है । अप्रैल माह के अंत तक इन दिनों खान्देश का तापमान ४७ डिग्री सेल्सीअस के आकडे को सहजता से छू कर अपने गरम इरादों को प्रस्तुत कर चुका है । एैसे में खान्देश में पानी की किल्लत का सहजता से ही अनुमान लगाया जा सकता है । इन दिनों जलगांव जिले के कई क्षेत्रों में पानी के लिए खीचतान एवं दर दर की ठोकरे खाना प्रारम्भ हो चुका है । किन्तू पानी के लिए पर्याप्त व्यवस्थापन व नियोजन न होने के कारण खान्देश भर में गरमी का दौर आते ही पानी की कमी के स्वर तेज होते दिखाई पडने लगते है । एैसे में रावेर तहसील के लोग पास में सटे हुए मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर की मुगल कालीन जलव्यवस्थापन व्यवस्था को याद करते फूले नही समाते। मध्यप्रदेश का बुरहानपुर पूर्व काल में खान्देश प्रदेश के भूभाग के रूप में जाना जाता था । कालांतर महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के निर्माण के साथ सीमाओं का समझौता होते हुए बुरहानपुर शहर मध्यप्रदेश क

गोमाता केंद्रित खेती का आर्थिक सफल प्रयोग : जनभारती

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       गोमाता केंद्रित खेती का आर्थिक सफल प्रयोग प्रकृति का वरदहस्त प्राप्त महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में गन्ना और धान प्रमुख फसलें है. देश में हुई हरित क्रांति के लाभ बहुत प्रमाण में इस जिले के गॉंव-गॉंव तक पहुँचे है. नया तंत्रज्ञान, रासायनिक खाद और कीटनाशक तथा उन्नत बिजों का प्रयोग किसानों ने आरंभ किया. उत्पादन बढ़ने से किसान आनंदित हुए; लेकिन कुछ ही समय में इसका विपरित परिणाम देखने को मिला. भरपूर उत्पादन की आशा में आधुनिक पद्धति के नाम पर खेती में रासायनिक खाद का अंधाधुंद  प्रयोग होने लगा. रसायनों कीअति मात्रा के कारण खेती की उर्वरा शक्ति घटी. जैसे जैसे समय बीतता गया, उत्पादन और भी घटता गया; तब किसान जाग उठा और इस समस्या का हल ढूढने लगे.     किसान समस्याग्रस्त होने से गॉंव की व्यवस्था अस्तव्यस्त हो गई. उस समय, कोल्हापुर के ‘जनभारती न्यास’ ने उन्हें एक आसान उपाय- हर घर में कम से कम एक देसी गाय पालना- बताया. १९९७-९८ को कोल्हापुर में प्रबोधन परिषद हुई थी. उसमें प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए विख्यात समाजसेवक नानाजी देशमुख ने कहा था कि जब