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मीठा मौसम

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बदलने लगा अब मौसम  ठंड़ी सी फुहार लिए  मूंगफली और गुड का  मीठा सा सौगात लिए।               साफ हो रहीं बुझी अंगीठी अंगारों कि हो रही तलाश  बदलने लगा अब निष्ठुर मौसम  दिला रहा सर्दी का अहसास।    बदल रहे गिलाफ़ रज़ाई के  स्वागत कि तैयारियां भी  मफलर टोपे और दस्ताने  देर तक बिस्तर में अंगड़ाइयां भी।          बदलने लगा अब मौसम  ठंड़ी सी फुहार लिए  सर्द हो रही हवा हवा में  ठंडक का अहसास लिये।               अब वह  कहाँ समाँ बचा है  चूल्हे के पास बैठ उड़ाते रोटी फूलने  से पहले ही  अध् जले गरम से आलू खाते।             खूब उड़ाते मूंगफली भी  फौजे चाचा कि गाड़ी से रेवड़ियों कि मिठास भी  और खाते गज़क गुलगुले। आज व्यस्तता के आलम में  यह सब बातें बनी इतिहास  बस इतना ही कह सकते  मौसम बदला लिए सर्द फुहार।। … विशाल

अंग्रेजो द्वारा स्थापित पाचोरा-जामनेर ट्रेन जमा हो रही इतिहास के झरोखों में

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अंग्रेजो द्वारा स्थापित पाचोरा-जामनेर ट्रेन जमा हो रही इतिहास के झरोखों में          तकनिकी के दौर में रेलवे विभाग की तरक्की आज देखते ही बनती है। अधिकांश स्थानों पर रेलवे मार्ग में बदलाव करते हुए उच्चतकनिक को लागू कर दिया गया है। एक ओर रेलवे विभाग नये संशोधनों से ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्वचलित तकनिक निर्माण कर ते हुए सफलता की ओर बढ रहा है। वहीं दूसरी ओर जलगांव जिले में अंग्रेजो के काल में प्रारंभ की गई ५६ किलो मीटर दूरी का पाचोरा-जामनेर एकल नैरोगेज रेलवे मार्ग आज भी इतिहास की कहानी को बखान कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार में जलगांव जिले से कई बार मंत्री पद दिया गया। किंतू किसी भी राजनैतिक नुमाइंदे ने पाचोरा-जामनेर रेल मार्ग के लिए व्यापक प्रयास नहंीं किये। यही कारण है कि मात्र ५६ किलो मीटर का यह मार्ग पुरातन धरोहर के रूप में स्थापित हो गया है। पाचोरा-जामनेर लोहमार्ग की स्थापना का कार्य मुंबई के मेसर्स शापुर्जी गोडबोले संस्थान की ओर  से वर्ष १९१८ में पहूर तक निर्माण किया गया था। बाद में पहूर से जामनेर का भाग १९१९ में नागरिकों के लिए खोला गया। राज्य शासन के नियंत्रण में होने

श्री इच्छादेवी माता का मंदिर एक तीर्थक्षेत्र

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मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र की सीमा पर मुक्ताईनगर तहसील के समीप स्थित  श्री इच्छादेवी माता का मंदिर एक तीर्थक्षेत्र की गरिमा स्थापित करता  है। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर तहसील में आने वाले इच्छापुर गांव में मौजूद इस प्रख्यात मंदिर का दोनों राज्यों में बेहद महत्व है।  शारदीय नवरात्र उत्सव पर इच्छादेवी माता मंदिर पर मुक्ताईनगर व आसपास के श्रध्दालुओं द्वारा बडी संख्या में पहुंचकर आराधना की जाती  है। महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित इस ख्याती वाले मंदिर में सर्वपित्र अमावस्या की पूजा के बाद स्नान आदि के उपरान्त से ही श्रध्दालुओं का आगमन प्रारंभ हो जाता है। बुरहानपुर से २३ किमी व मुक्ताईनगर शहर से मात्र १७ किमी दूरी पर स्थित इस देवी के मंदिर को लगभग ४६० वर्ष पुराना माना जाता है।     मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र की सीमा पर बसे लोगों द्वारा इस मंदिर के प्रति बडी श्रध्दा रखी जाती है। नवरात्र उत्सव प्रारंभ होते ही खान्देश से बडी संख्या में श्रध्दालुओं द्वारा श्री ईच्छादेवी मंदिर पहुंचकर देवी की पूजा अर्चना के साथ मन्नत मांगने का कार्य प्