संदेश

जुलाई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चारसौ से अधिक मोबाईल पोट्रेट को अंजाम दिया मितेन ने

चित्र
मोबाईल पर थिरकती उंगलियों से अमिताभ बच्चन की सराहना तक, चारसौ से अधिक मोबाईल पोट्रेट को अंजाम दिया मितेन ने                        जलगांव शहर में बिना किसी आर्ट पाश्र्वभूमी के अपने शौक को आगे बढाते हुए ४३ वर्षीय मितेन लापसिया ने अमिताभ बच्चन के चारसौ से अधिक मोबाईल पोट्रेट बनाकर युवाओं में एक अच्छी पैठ निर्माण की है।                 इंटरनेट के युग में सीधे साक्षात्कार को जाने की अवस्था में मितेन लापसिया को इस सारी कलात्मकता के लिये स्वयं अमिताभ बच्चन ने बधाई भी दी। लगातार अपना क्रियेशन जारी रखते हुए श्री लापसिया ने पुन: अमिताभ बच्चन को अपनी ओर आकर्षित करते हुए एकबार फिरसे वाहवाही लूटी।        शहर में क्रियेटिव डिजाईनर व प्रिंटींग का व्यवसाय करने वाले श्री लापसिया को कला व पोट्रेट बनाने का शौक उनके पिता श्री चंद्रकांत लापसिया से प्राप्त हुआ। मुंबई में जे.जे.आर्टस् महाविद्यालय में श्री चंद्रकांत लापसिया ने अपनी शिक्षा पूरी कर जलगांव में अपने हुनर को प्रसारित किया।                            बचपन से घर में कुची व रंग का तालमेल देखकर

गणितज्ञ भास्कराचार्य जयती पर विशेष

चित्र
गणितज्ञ भास्कराचार्य जयती पर विशेष -       गणितज्ञ भास्कराचार्य का जलगांव जिले से बहुत बडा संबंध बताया जाता है। गणित व खगोलशास्त्र के अध्ययन में भास्कराचार्य को जलगांव जिले में ही प्रगती मिलने के साक्ष्य भी मौजूद है। इतिहास में इसवी सन ११५ ३ से ५४ के बीच जलगांव जिले के चालीसगांव तहसील में स्थित पाटणादेवी परिसर में मिले संस्कत शिला लेखों में खगोलशास्त्री भास्कराचार्य का उल्लेख प्राप्त होता हेै। भास्कराचार्य के पौत्र के रूप में चांगदेव ने भी बडे ज्योतिष होने का सम्मान इसी जिले में प्राप्त किया। पूराने शिलालेखों के अनुसार चांगदेव ने अपने दादा के सिद्धांत शिरोमणी व अन्य ग्रंथों के अध्ययन के लिये पाटणा परिसर में एक बडा मट निर्माण करने की भी इतिहास में जानकारी मौजूद है। इतिहास कारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रिय किर्ती के प्रख्यात गणितज्ञ, खगोल शास्त्री भास्कराचार्य चालीसगांव के पाटणे यां पाटणा देवी परिसर में सन १११० से ११८५ तक निवास करते थे। भास्कराचार्य ने इसी स्थान पर अपनी विधवा बेटी लिलावती के लिये गणित शास्त्र पर गं्रथ लिखा था। सिद्धांत शिरोमणी गं्रथ में गणित के श

राज्य में दसवीं कक्षा के मात्र ४ प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारा हिंदी को

चित्र
दसवीं कक्षा के मात्र ४ प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारा हिंदी को  हाल ही में १० वीं कक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद राज्य भर के कुल १० वीं कक्षा उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों की संख्या का ४ प्रतिशत ही हिंदी भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकार करने में सफल हुआ। जबकि हिंदी भाषा को दूसरे व तीसरे भाषा प्रारूप में स्वीकार करने वालों की संख्या लगभग ८१ प्रतिशत रही। देश में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हिंदी भाषा के प्रोत्साहन के लिये निर्णय लेकर जो सूचना जारी की गई है। उससे भाषा वाद का मुद्दा सामने आने लगा। दक्षिण प्रदेशों में पहले से ही हिंदी भाषा के उत्थान यां प्रमुखता को लेकर भाषा वाद का आंदोलन किया जाता रहा। ऐसे में स्कूली शिक्षा में हिंदी की अनिवार्यता यां विद्यार्थियों के रूझान, आकर्षण भी भाषा की स्थिती को बयान कर रहे है। महाराष्ट्र में १० वीं कक्षा के सामने आये नतिजों में हिंदी भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारने वालों की संख्या उर्दु भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारने वालों की संख्या के रूप में काफी कम है। हिंदी भाषा को दसवीं कक्षा क ी परीक