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अब स्मृतियाँ मात्र शेष..

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                                                                                                             24  दिसंबर 2014    आज २४ दिसंबर २०१५ को पूज्‍यनीय दादी जी को हम सबके बीच से गये एक वर्ष बीत गया । बुजुर्गों का जाना जीवन की सबसे बड़ी क्षति के रूप में ही होता है । आज सिर्फ़ उनकी स्मृतियों को स्मरण कर प्रेरणा लेना ही हमारा समर्पण होगा । पूज्‍यनीय दादाजी द्वारा लगभग ३७-३८ वर्ष पूर्व सन्यास लेने के बाद माताजी ( दादी माँ ) ही थी, जिन्होने परिवार को मजबूती के साथ संभाला । हिन्दुस्तान विभाजन की पीढ़ा झेलने वाले इस परिवार में यह क्षण फिर से एक विभाजन जैसा ही था । मैं उस समय बहुत छोटा था किंतु इतना तो स्मरण है की काफ़ी कठिनाई भरे दिन थे वह । घर के मुखिया का अपने परिवार को अचानक छोड़ कर वैराग्य के मार्ग पर निकल जाना...सहसा ही कोई स्वीकार नही कर सकता..। माताजी के बुलंद होसलों से फिर से पूंजी एकत्रित कर जैसे तैसे परिवार ने फिर से अपना स्थान निर्माण किया । पाकिस्तान विभाजन में दादी सहित हमारे पुरोधाओं के शौर्य के किस्से सुनकर मेरा बचपन बीता । स्वाभाविक है इन सबकी छाप कहीं ना

खान्देश का कृषिपर्व पोला

खान्देश का कृषिपर्व पोला पोला पर्व खान्देश सहित संपूर्ण महाराष्ट्र में मनाये जाने की परंपरा है। आम तौर पर महाराष्ट्र के कृ षि प्रधान क्षेत्रों में पोला उत्सव बडी धुमधाम व श्रध्दा के साथ मनाया जाता है। किंतु महाराष्ट्र के अलावा छत्तीसगढ व अन्य राज्यों में भी पोला उत्सव मनाने की परंपरा है। पोला पर्व भादो मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे पोला पाटन व कुशोत्पाटनी आदि नाम से भी जाना जाता है। पोला त्यौहार में किसानों द्वारा अपने पशूधन खासतौर से बैल आदि की  पूजा प्रतिष्ठा कर अपने पशु धन के लिए स्वास्थ्य की मंगल कामना की जाती है। कृषी कार्य पूरा होने के संकेत- पोला त्यौहार के समय खेतों में अंतिम निंदाई का कार्य लगभग पूरा हो जाता है। खेतों में धान के पौधे लहलहाते हैं। किसानों का ऐसा मानना है कि पोला के दिन धान की फसल गर्भ धारण करती है। इसलिए पशूधन की पूजा के साथ किसान इस दिन खेत जाना भी वर्जित मानते है। इस तथ्य को यह लोकपर्व प्रमाणित करता है। पोला उत्सव पर बैल के महत्व को देखते हुये अनुभवियों द्वारा कहा जाता है कि, यदि  वैज्ञानिक प्रणाली को छोड़ दें तो बैल के बिना कृषि संबंधि

कलामहर्षी केकी मूस

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                    चालीसगांव के प्रख्यात              अंतराष्ट्रीय कलाकार व छाया चित्रकार                                              कलामहर्षी केकी मूस  

खान्देश का परंपरागत कानुबाई उत्सव

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खान्देश  का  परंपरागत  कानुबाई  उत्सव सावन माह की शुरुवात से ही खान्देश में विभिन्न उत्सवों की रौनक दिखाई देने लगती है। इनमें खान्देश में मनाये जाने वाले विभिन्न त्यौहारों में ग्रामीण विभागों सहित शहरी भागों में भी बडी ही धूमधाम से मनाये जाने वाले कानुबाई उत्सव का आज भी अपना एक अलग स्थान है । सोमवार को विगत एक सप्ताह से चली आ रही तैयारियों के  कानुबाई उत्सव का समापन हुआ। आम तौर पर स्थानिय प्रथाओं में श्रावण की नागपंचमी के उपरांत आने वाले पहले रविवार को यह कानुबाई उत्सव मनाया जाता है। दूसरे दिन सोमवार को ही बडे ही धूमधाम से भक्तिपूर्ण वातावरण में कानूबाई उत्सव का समापन किया जाता है ।कानुबाई उत्सव के लिये पुरानी परंपरा को देखते हुए तिथी आदि नहीं देखी जाती। सोमवार को परिवारों द्वारा घर में सजाई गई कानुबाई की पुजा अर्चना करते हुए मेहरुण तालाब परिसर में विसर्जन किया गया। खान्देश के इस कानूबाई उत्सव को स्थानीय ग्रामीणों में रोट का उत्सव भी कहा जाता है । कानुबाई उत्सव के बहाने खान्देश में परिवार व कुनबे एकत्रित होते हुए पूजा पाठ के साथ खानपान का सामुहिक आनंद भी उठाते है। दीपावली त्यौहा

खुखरान डा.अकुन सभरवाल व स्मिता सभरवाल

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खुखरान डा.अकुन सभरवाल व स्मिता सभरवाल    इन दिनो तेलंगाना के आई.पी.एस. खुखरान दम्पती डा.अकुन व स्मिता सभरवाल देश की सुर्खियों में बने हुए है। डा.अकुन सभरवाल का जन्म ४ दिसबंर १९७६ को पटियाला में हुआ था। वह विद्यमान में ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर के रुप में पोस्टेड है। उनके पिता इंडियन एयर फोर्स में एक अधिकारी थे। जिसके कारण खुखरान डा.अकुन की प्रारंभिक शिक्षा बैंगलोर, पुना, दिल्ली, आसाम, उटी व चंदिगड के केंद्रिय विद्यालयो में हुई। स्कुल और महाविद्यालय शिक्षण में डा.अकुन का गणित विषय सबसे प्रिय था। किन्तू इसके बाद भी उन्होंने दंतचिकित्सा को अपने करियर के रुप में चुना। फेशियल सर्जन विनोद कपुर उनके पसंदीदा प्रोफेसर थे। दंतचिकित्सक  के रुप में कार्य करते हुए खुखरान डा.अकुन ने संघ लोकसेवा अयोग की परिक्षा उत्र्तीण करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर ३३ वां स्थान हासिल किया। कामरुप जिले में मुकेश अग्रवाल के उग्रवाद विरोधी अभियान में उन्हें शामिल किया गया। डा.अकुन ने रैगिंग विरोधी मुहिम चलते हुए हैदराबाद सेंट्रल झोन के डी.सी.पी. के रुप में कार्य किया। एक मेगा सिटी

खुखरान राघव चड्ढा

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खुखरान राघव चड्ढा-आम आदमी पार्टी के शिल्पकार   इतिहास साक्षी है की, खुखरानो ने हर मोर्चे पर स्वयं को साबित करते हुए समाज में अपनी प्रतिष्ठित जगह बनाई है। आज विश्व में कई बडे खुखरान नाम आदर का स्थान रखते है। खुखरान समाज में नवोदित पीढी भी अपने बुर्जुगो से आशिष व आदर्श लेकर आगे बढ रहे है। हाल ही में नई दिल्ली में सत्ता पर आई आम आदमी पार्टी की विजय में भी एक खुखरान शख्सीयत का बडा हाथ है। पेशे से सी.ए. खुखरान राघव चड्ढा इस विजय के १० बडे शिल्पकारो में से एक है। दिल्ली के उत्साहित युवा सी.ए. खुखरान राघव चड्ढा कु छ ही महिनो में आम आदमी पार्टी में विशेष स्थान स्थापित कर खास बन गए। और पार्टी के थिंक टैंक में जगह बनाते हुए प्रवक्ता पद हासिल किया। जानकार बताते है की, विगत विधान सभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बडे नेताओं के खिलाफ जानकारियां इकठ्ठा कर मोर्चा खोलने का काम राघव चड्ढा ने ही किया था। विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नुपूर शर्मा ने राघव चड्ढा के खिलाफ के छेडछाड का आरोप लगाया था। जिसके बाद से वह चर्चित हो गए।   नई दिल्ली के सुनिल व अल्का चड्ढा के घर ११ नवंबर १९८८

खुखरान विराट कोहली..

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खुखरान विराट कोहली                                        क्रिकेटर विराट कोहली का नाम कौन नही जानता । खुखरान समाज़ के इस प्रतिभाशाली पुत्र के क्रिकेट जगत में बड़े चर्चे हैं । नई दिल्ली के प्रेमजी कोहली व सरोज कोहली के घर ०५ नवंबर १९८८ को विराट का जन्म हुआ ।  बड़े भाई विकास व बड़ी बहन भावना के साथ विराट कोहली ने भी भारती पब्लिक स्कूल मयूर विहार से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की । विकास की शादी चेतना से, जबकि भावना की शादी संजय धिंगरा से हुई है। विराट कोहली के भैया विकास और भाभी चेतना अक्सर आईपीएल के दौरान आरसीबी के मुकाबले देखने के लिए स्टेडियम पहुंचते हैं।विराट कोहली के पिता प्रेम कोहली पेशे से वकील थे. उनकी दिसंबर २००६ में मृत्यु हो गई थी ।    विशेष बात यह है की जिस दिन प्रेम कोहली का निधन हुआ, उसी दिन विराट दिल्ली की ओर से कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफ़ी का महत्वपूर्ण मैच खेल रहे थे । यही से विराट सुर्ख़ियों में आए । विराट मध्यम क्रम के बल्लेबाज़ वा सीधे हान्थ के मध्यम गति गेंदबाज़ हैं । इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर के कप्तान के रूप में

खान्देश की बारह गाडी खींचने की परम्परा

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खान्देश की बारह गाडी खींचने की परम्परा का श्रद्धात्मक प्रदर्शन     जलगांव शहर में भगवान खंडेराव की पूजा अर्चना के साथ शक्ती का प्रदर्शन करते हुए भगत परिवार द्वारा अपनी असीम संभावनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। खंडेराव की पारंपरिक यात्रा के उपलक्ष्य में चली आ रही बारह गाडियां खींचने की यह परंपरा श्रध्दा व उत्साह के साथ मनाई जाती है । शहर के बुजूर्ग व जानकार बताते है की जलगांव में इस बारह गाडी खींचने की सवा सौ साल पुरानी ऐतिहासिक परम्परा श्री खंडेराव महाराज की यात्रा के रुप में विद्यमान है। शहर के पांजरापोल के अलावा अक्षय तृतीया के उपरान्त यां अक्षय तृतिया के दिन पिंप्राला व मेहरूण की बारह गाडी खींचने की परंपरा पूरी की जाती है।  भीषण गर्मी में भी इस  परंपरा का निर्वाह करते हुए पिंप्राला में बारहगाडी खींचने का आयोजन उत्साह व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।  पिंप्राला के भवानी देवी मंदिर व अहिर स्वर्णकार पंच मंडल के संयुक्त तत्वाधान में पाच दिवसीय वैशाख महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के अंतर्गत ही पिंप्राला के भगत हिरालाल बोरसे लोगों की भारी भीड के बीच बारहगाडियां खींचने

आज महिला आजादी पर जश्र नहीं मनाओंगे

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विश्व महिला दिवस पर सुबह....सुबह....    सज धज कर निकले पति से बोल बैठी पत्नी कहां निकले हो भद्र पुरुष आज महिला आजादी पर जश्र नहीं मनाओंगे रविवार है तो क्या घर का काम नहीं करवाओंगे   आज विश्व में क्या वाटस अप, फेसबूक, ट्वीटर पर भी महिला छाई है फिर कामचोरी से तुम्हे क्या बुराई है   डरते सहमते भद्र पुरुष की आवाज थरराई सुखे हलक में से कुछ शब्दों की लडीयां बाहर आई बोला जश्र ही तो मना रहा हूँ पी पी पी के अधिवेशन जा रहा हूँ पत्नी का माथा  ठनका ेबेलन का कंपन भनका बोली महिला दिवस हमारा आजादी तुम मनाओगे घर का काम धरा है तुम पी पी पी के अधिवेशन जाओगे   आनन फानन में चित्रहार का अल्प विराम हुआ दो मिनट के विज्ञापन में ही ठुकाई का सारा प्रोग्राम हुआ बेचारा मरता क्या न करता उत्सव पर बिन किये की सजा पा गया महिला आजादी के जश्र में बरतन चौके में समा गया बेलन झाडू का दर्द भी उसे सालता रहा भ्रद पुरुष से कु पुरुष का भ्रम पालने लगा पी पी पी का सपना कराह में झलकने लगा   महिला दिवस हावी सा होने लगा शाम को पार्टी से लौट पत्न

सावधान रेलवे में चलती है अलग भाषा..

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                         सावधान रेलवे में चलती है अलग भाषा             जेब कतरो की सांकेतिक भाषा अंजाम देती है अपराध को                                                     भुसावल मंडल रेलवे के अंतर्गत इन दिनों जेब कतरो की जो सांके तिक भाषा उभरकर आ रही है। वह अपने आप में निर्माण की गई संवाद की एक शैली बनी हुई है। संवाद की प्रक्रिया के लिए संकेतो को यदि सकारात्मकता के साथ जोडा जा सकता है तो वही इन संके तो व शब्दों को अपराध के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। भुसावल मंडल में रेलवे के अंतर्गत चोरी व जेब काटने की घटनाओं का प्रमाण बढता ही जा रहा है। इसे रोकने के लिए भले ही भरसक प्रयास हो किन्तू जेब कतरो की इजाद की गई भाषा का जब तक गंभीर अध्ययन नहीं होगा तब तक जेब कतरी की घटनाओं में कमी नहीं आ पाएगी। टे्रन में यात्रीयों के सामान पर हाथ साफ करते हुए यदि कोई पुलिस कर्मी आ जाता है तो कहा जाता है की मख्खी आ गई या फिर ढोला आ गया।     जेब कतरो की भाषा में १ हजार के नोट को थान, १०० रूपए के नोट को गज,  ५०० रूपए के नोट को गांधी बापू, फुटकर पैसो को १० या २० पाव, ५० रूपए को आधा गज क

ट्रॅफिक पुलिस ने कहा महामार्ग पर नहीं चलाते देखा महिला को कार

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   हैदराबाद की ट्रेनर से बातचीत में उजागर हुआ उच्च   संस्कृति का शोषण               औंरगाबाद-जलगांव राष्ट्रीय महामार्ग पर अचानक शहर के मुहाने पर यातायात पुलिस एक महिला को कार आंध्रप्रदेश पासिंग की कार चलाते देख कागजों की पुछताछ के लिए रोकता है। महिला चालक के पडोस की सीट में बैठे बुर्जूग व्यक्ती के दरवाजा खोलते ही यातायात पुलिस बडे अदद के साथ उन्हें बैठे रहने का इशारा करता है और महिला चालक से कागजों की जांच पडताल करने लगता है। सब कुछ व्यवस्थीत होने पर यातायात पुलिस कर्मी धन्यवाद अदा करते हुए बताता है की महामार्ग पर लंबी यात्रा के लिए किसी महिला को गाडी चलाते नहीं देखा। इस पर कार चला रही लगभग ४५ वर्षीय महिला ने हैदराबाद की फ्रेंच भाषा व व्यक्तीत्व विकास की ट्रेनर श्रीमती शुभा भसीन सेठ के रुप में अपना परिचय देते हुए बताया की नांदेड से औंरगाबाद होते हुए जलगांव तक ३ बार यातायात पुलिस कर्मीओं ने उन्हें रोकते हुए यही आश्चर्य व्यक्त किया है। यह परिवार खानदेश में एक समारोह में सम्मिलित होने निकला था ।           दैनिक भास्कर संवाददाता ने फ्रेंच ट्रेनर के बारे में जानने का

धन्यवाद ज़िंदगी

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फेसबुक पर फैल रहे अश्लील वाईरस से लोगों की छवि धुमिल

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    फेसबुक पर फैल रहे अश्लील वाईरस से लोगों की छवि धुमिल,        विशेषज्ञों ने सचेत रहते हुए दी पासवर्ड बदलने की सलाह       सोमवार को जलगांव सहित देशभर के फेसबुक युजर्स अश्लील वाईरस को लेकर अच्छे खासे परेशान दिखाई दिये। परेशानी का आलम यह था कि लोग एक दूसरे को फोन करके संबंधित अश्लीलता के बारे में आगाह करते दिखाई दिये। फेसबुक पर इन दिनों विगत कुछ समय यां जनवरी माह से कईं प्रकार के अश्लीम मैसेज, चित्र आदि अचानक पोस्ट हो रहे है। जिसको लेकर फे सबुक युजर्स, फे सबुक प्रयोग कर्ता अपने मित्रों के बारे में गलत राय बना ले रहे है। और इन गलत फहमियों की बदौलत लोगों में आपस में ही द्वेष निर्माण होने लगा है। आईटी क्षेत्र व सॉफ्टवेअर से जुडे विपुल पंजाबी, विशाल मंत्री ने बताया कि विगत दो-तीन दिन से फे सबुक पर अश्लील से वीडिओ, फोटो आदि अपने आप किसी के नाम पर अपलोड हो रहे है। इतना ही नहीं यह सारी सामग्री फेसबुक युजर्स के मित्रों, परिजनों आदि को अपने आप ही टैग कर ले रहे है। जिसकी जानकारी फेसबुक खाता धारक को नहीं मिल पाती। किन्तू जब कोई अन्य फेसबुक पर बैठता है तो उसकी फेसबुक दीवार पर यह सा