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शिरपुर का विख्यात सितारा स्मिता पाटिल, अदाकारी के लिए आज भी मिसाल

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महाराष्ट्र के धुलिया जिले की शिरपुर तहसील में आगरा मुंबई महामार्ग पर स्थित दहिवद गाँव से गुजरते समय महान अदाकारा स्मिता पाटिल का स्मरण हो आता है. स्मिता पाटिल पब्लिक स्कूल वा शिरपुर सहकारी सूत गिरनी के सामने गुजरते हुए किसी  ना किसी से पता चल जाता है की स्मिता पाटिल का यहाँ से कोई गहरा सम्बन्ध है. हालांकि स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर , 1956 को पुणे में हुआ था , किन्तु उनके पिता शिवाजी  गिरधर पाटिल की शिरपुर राजनीतिक कर्म भूमि , पैत्रिक भूमि रही है. स्मिता पाटिल के पिता शिवाजीराव गिरधर पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री, राज्यसभा सदस्य  और मां विद्या ताई पाटिल सामाजिक कार्यकर्ता थीं. स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में शिवाजीराव पाटिल व उनके भाई उत्तम नाना पाटिल का योगदान बताया जाता है. अंग्रेजों के खज़ाना लुटने की चिमठाना लूटकांड की घटना में इस परिवार का योगदान माना जाता है. खैर राजनीतिक पृष्ठ भूमि के कारण स्मिता पाटिल की योग्यता, व्यक्तित्व को हल्का नहीं माना जा सकता. उनकी अपनी एक विख्यात छवि रही है.  अपने अभिनय वा अदाकारी से स्मिता पाटिल ने मात्र दस वर्ष के क

स्टेज डेयरिंग

यह है हमारी बिटिया रानी कनक ! मेरी पत्नी मोनिका चड्ढा ने कल बताया की रविवार को स्कूल के ऑडिटोरियम में लगभग पांच सौ बच्चों को फिल्म दिखानी थी . अचानक लेपटोप में कोई तकनिकी खराबी आ गई, तो कोई इंग्लिश गाना लगा दिया गया. कनक इतनी भीड़ में से उठ कर स्टेज पर गई और मुक्त स्वरुप में डांस करने लग गई. उसकी इस स्टेज डेयरिंग को देख कर सभी बच्चों ने चियर्प करना, तालियाँ बजाना प्रारंभ कर दिया. बाद में दुसरे बच्चे भी कनक को देख कर स्टेज पर आ गए. ग्रेट....                                                      कनक का स्टेज परफोर्मेंस     

जन्मदिन की अशेष ,अनंत शुभकामनायें

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कहीं पर पढ़ा था की.. पिता की मौजदगी सूरज की तरह होती है , सूरज गरम जरुर होता है , अगर न हो तो अँधेरा छा जाता है ।   .. जिसने भी कहा है , सही ही कहा है.. यह अहसास इंसान को तब होता है जब वह अपने अहम् से बाहर निकल कर पिता की नर्म मुलायम गर्मी को महसूस करता है.. मैं हमेशा से अपने पिता के बारे में अपने भाई-बहनो , मित्रों , अपनों को कहा करता हूँ की यह क्या कम है की हमें आदरणीय- पूज्यनीय पापाजी ने इतना इंसान बनाया की हम सब समाज में अपना स्थान कायम कर सके.. शोहरत दौलत तो आती जाती रहेगी.. किन्तु कभी हममें घमंड-गुमान न आये यह आदर्श उन्ही ने दिया.. आदरणीय पापाजी का जन्मदिन शायद पहली बार इस तरह से मनाया हो.. पापाजी आप स्वस्थ रहें , दीर्घायु हो , हमेशा प्रसन्न रहें.. हम नादान बच्चों पर अपनी प्रेरणात्मक सीख के साथ आशीष बनाये रखें... इन खुशियों को बिखेरने के लिए मेरे छोटे विपुल व बहु सोनम का शुक्रिया.... आपका अपना समूचा परिवार