आज महिला आजादी पर जश्र नहीं मनाओंगे
विश्व महिला दिवस पर सुबह....सुबह.... सज धज कर निकले पति से बोल बैठी पत्नी कहां निकले हो भद्र पुरुष आज महिला आजादी पर जश्र नहीं मनाओंगे रविवार है तो क्या घर का काम नहीं करवाओंगे आज विश्व में क्या वाटस अप, फेसबूक, ट्वीटर पर भी महिला छाई है फिर कामचोरी से तुम्हे क्या बुराई है डरते सहमते भद्र पुरुष की आवाज थरराई सुखे हलक में से कुछ शब्दों की लडीयां बाहर आई बोला जश्र ही तो मना रहा हूँ पी पी पी के अधिवेशन जा रहा हूँ पत्नी का माथा ठनका ेबेलन का कंपन भनका बोली महिला दिवस हमारा आजादी तुम मनाओगे घर का काम धरा है तुम पी पी पी के अधिवेशन जाओगे आनन फानन में चित्रहार का अल्प विराम हुआ दो मिनट के विज्ञापन में ही ठुकाई का सारा प्रोग्राम हुआ बेचारा मरता क्या न करता उत्सव पर बिन किये की सजा पा गया महिला आजादी के जश्र में बरतन चौके में समा गया बेलन झाडू का दर्द भी उसे सालता रहा भ्रद पुरुष से कु पुरुष का भ्रम पालने लगा पी पी पी का सपना कराह में झलकने लगा महिला दिवस हाव...