स्कूल का पहला दिन
स्कूल का पहला दिन उत्साह व कल्पनाओं के साथ आँखों में लिए हज़ार सप्तरंगी सपने नन्हे अठखेलियां करते हाँथ, माता पिता के साथ स्कूल चले हम के संगीत में वहीँ कुछ उदास से चेहरे नम आँखों से देखते अपनो को चिड़ियों के कलरव सा शोर कोई हँसता कोई होता भावविभोर प्रयास एक अध्यापक का सपने दिखा दिखा कर हंसते खेलते चेहरे में उदास को भी मिलाकर वहीँ मायूस से माँ बाप चारदीवारी के बाहर हिला रहे हाँथ ,कर रहे मुस्कुराने का प्रयास रंग बिरंगे गुब्बारों को दिखा कर जता रहे जल्द लौटने का विश्वास स्कूल का पहला दिन रस्सी पर चलने जैसी कसरत मुझे अब भी याद आता है स्कूल ख़त्म होते ही मिल्खा सिंह की तरह भाग कर दौड़ना सबसे पहले चारदीवारी से निकल अपनों में सिमट जाना बड़ा अच्छा था वो सबक न भूला हूँ न भूलूंगा कभी उस पहले दिन के उत्साह ने मुझे इंसान बना दिया।।