जन्मदिन पर कुछ पंक्तियाँ
जीवन की आपाधापी कोहराम सा मचा हृदय में छिन-छिन पल-पल बढ़ते पथ पर राहगीर बने जीवन के, गिरना चलना, उठकर रहना हर पल जीवन का है गहना एक वर्ष का सफ़र ख़त्म हो फिर से एक सीढ़ी है चढ़ना, नही वक्त है सोचें फिर हम क्या खोया क्या पाया अब तक चलते रहने की धुन में जीवन सुंदर पाया मैने, नही शिकायत इससे मुझको जो जिया वह अनमोल हमेशा संघर्षों की परिपाटी पर निर्माण हो रही सार्थक दिशा, फैले इस समाज़ को मैने अभी ओर कुछ देना है लेकिन दूषित होते पल में जीवन संभाल कर जीना है, आज बीत रहा एक पड़ाव अभी महत्वाकांक्षा बाकी है इस समाज़ ने दिया बहुत कुछ इसका क़र्ज़ भी बाकी है, शिव अब जागो,कंठ सुखता गरल फैला है इस जग में स्वार्थ, लोभ, छल, मक्कारी फैली हुई है पग-पग में, नीलकंठ फिर बनने तुमको इस धरती पर आना होगा मेरा जीवन सरल बनाने विलक्षण नेतृत्व बनाना होगा, इतनी इच्छा कर दो पूरी मैं आदर्श बनूँ ओरों का इसके लिए बने यह जीवन कर्तव्यों से कर्तव्यों का.. प्रतिवर्ष की तरह जन्मदिन पर कुछ पंक्तियाँ परिजनो, सभी मित्रो, गुरुजनो, आदरणीय, स्नेहियों के सादर आभार सहित