बंधन....
धीरे-धीरे सब कुछ भूल जाते हैं,
धरती पर शायद जीवाश्म ही रह जाते हैं..।
पहले तो सिर्फ़ पहचान होती है,
पहले तो सिर्फ़ पहचान होती है,
यूं फ़िर जिंदगी आम होती है..।
रिश्तों कि उडान में कोई अपना सा बन जाता है,
रिश्तों कि उडान में कोई अपना सा बन जाता है,
कोई कुछ कदम तक साथ आता है..।
कुछ पद-चिन्हों पर चलना कबूल करते हैं,
कुछ पद-चिन्हों पर चलना कबूल करते हैं,
कुछ इन्सां की रौनक से ही जुड्ने की भूल करते हैं..।
दूर हो जाते हैं मंजर फ़िर भी कोई छू जाता है,
दूर हो जाते हैं मंजर फ़िर भी कोई छू जाता है,
कोई दिल के करीब रह कर भी मीलों दूर पाता है..।
सागर की लहरें बार-बार छूती हैं किनारे की रेत को,
सागर की लहरें बार-बार छूती हैं किनारे की रेत को,
क्यों नही भूल जाती वह भी इस अचानक सी भेंट को..।
हम नही कहते कि एक ही दिन हो किसी को याद करने का,
हम नही कहते कि एक ही दिन हो किसी को याद करने का,
शेष बाकी दिन अपनी व्यस्तता को रोने का..।
दिल में दर्द हो तो दुआ हर दिन ही भाता है,
दिल में दर्द हो तो दुआ हर दिन ही भाता है,
दिल से याद करने पर संदेश स्वंय ही पहुँच जाता है..।
आज तो फ़ुर्सत भी नही अपने कुछ शब्द संदेशों में भेज दें,
आज तो फ़ुर्सत भी नही अपने कुछ शब्द संदेशों में भेज दें,
अपने विचारों को अपनो में भेज दें..।
खैर शिकवा नही शिकायत भी नहीं,
खैर शिकवा नही शिकायत भी नहीं,
अपनो से तो क्या परायों से भी नही..।
इसी लिये तो हम इन्सान कहलाते हैं ,
इसी लिये तो हम इन्सान कहलाते हैं ,
सूखी रेत पर न मिटने वाले पद-चिन्ह छोड जाते हैं..।
जीवाश्म यां यादें कोई पहचान नहीं होती,
जीवाश्म यां यादें कोई पहचान नहीं होती,
अपनत्व और दोस्ती अन्जान नही होती..।
हमारे सबके रिश्ते को एक अदृश्य सी शक्ति जोडे है,
हमारे सबके रिश्ते को एक अदृश्य सी शक्ति जोडे है,
ये बंधन है दोस्ती के जिसे न कोई तोडे है.. जिसे न कोई तोडे है ।।
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