मातैय - माते त्वानू लखा, करोड़ा प्रणाम
मातैय - माते त्वानू लखा, करोड़ा प्रणाम परमपूजनीय दादी माँ को हम सब के बीच से गए हुए दो वर्ष हो गया.. वक्त तेज़ी से भागता चला जाता है किन्तु चिर-स्मृतियाँ छोड़ता चला जाता है. यह कहना कठिन है की समय के साथ सबकुछ भुलाया जाता है. क्योंकि सीख जीवन के हर मोड़ पर एक राह , हिम्मत बनकर कड़ी दिखाई देती है. अबके अत्यधिक प्रगतिवादी माहोल में भी हमारे उन अशिक्षीत बुजुर्गों के तजुर्बे एक ढाल की तरह सामने आते हैं. फिर हम कैसे कह सकते हैं की की समय सब कुछ भुला देता है. http://aakrosh-sanwad.blogspot.in/search?updated-min=2015-01-01T00:00:00-08:00&updated-max=2016-01-01T00:00:00-08:00&max-results=13 पूज्यनीय दादी जी को परिवार के सभी सदस्य माताजी, मातैय यां माते कहते थे . मातैय शब्द पंजाबी का अपभ्रंश है , और भी कई शब्दों को तोड़ मरोड़ कर बोला जाता है. खैर मातैय हमारे बीच समाये हुए हैं, हम गौरवान्वित हैं ऐसे महान व्य...