आओ बेलन टाइप डे मनाएं
आओ बेलन टाइप डे मनाएं सुबह सुबह सोशल मीडिया पर किसी अखबार की कतरन खुली। पता चला की कुछ दम्पत्तियों के जीवन के सार को खुशहाली में परोसा गया था। सभी अपने अपने अनुभव में जीवन साथी को सर्वश्रेष्ठ बता रहे थे। होना भी ऐसा ही चाहिए। अच्छा लगा जान कर वो वेलेंटाइन डे पर कुछ बेलन टाइप स्मृतियाँ प्रस्तुत कर रहे थे। बहुत पहले फारुख शेख का एक धारावाहिक आता था जीना इसी का नाम है.. कुछ उसी से प्रेरणा लेता हुआ यह प्रकाशित अंदाज़ था। आज कल अखबार अपने व्यवसाइक फायदे के लिए कोई भी नई संकल्पना को जन्म देते हैं। मज़बूरी है साहब , बड़े बड़े ताम-झाम को कैसे चलाएंगे। खैर याद आया इसी तरीके की बेलन टाइप श्रृंखला तो घर घर में होती होगी। आज कुछ विशेष निगरानी में पति वर्ग, पुरुष वर्ग के लिए मध्यम संगीत में गाना चल रहा होगा.. बाबूजी ज़रा धीरे चलना, प्यार में ज़रा... पर क्या करें कमबख्त वेलेंटाइन डे है।...