कमल के गुणों ने दी कमल लगाने की प्रेरणा
कमल के गुणों ने दी कमल लगाने की प्रेरणा
( पूना से लौटकर विशाल चड्डा )
पूना शहर के चिंचवड परिसर में एक लाँड्री व्यवसायी द्वारा कमल के गुणों से प्रेरित होते हुए अपने इस शौक को कमल की नर्सरी में परिवर्तित करते हुए बागवानी के एक स्वरूप को प्रस्तुत किया गया है । कहा जाता है कि कमल जैसा सुंदर फूल कीचड में खिलता है । किंतु इन सब कहावतों को कहावत ही सिद्ध करते हुए पूना के चिंचवड में रहने वाले सतीष गादिया ने १५ साल पहले कमल के फूलों की नर्सरी बनाने का यत्न प्रारंभ किया ।
आज उनका यह प्रयास सकारात्मक प्रस्तुति के साथ एक अच्छी खासी पहचान व शोध का विषय बन गया है । सतीष गादिया की इस नर्सरी में कमल की चार जाति, ३० प्रजाति के समावेश के साथ विदेशी कमल की प्रचलित प्रजातियों के १० विभिन्न नस्लों का भी समावेश है । सतीष गादिया द्वारा इस कमल की नर्सरी को प्रारंभ किये जाने के पीछे भी एक अलग दास्तान है । लाँड्री व्यवसाय के चलते कपडों के लाने व ले जाने के लिए लोगों के घरों तक जाने के दौरान सतीष गादिया को पूना के एक परिवार के बगीचे में अक्सर कमल के रंगबिरंगे फूल खिलते दिखाई देते थे ।
अपने देश के राष्ट्रीय फूल को सहजता से देखते हुए सतीष गादिया के मन में कमल के फूल की पौध तैयार करने की कल्पना ने जन्म लिया । जब उन्होंने अपने इस विषय को अपनी दादी स्वर्गीय सुंदराबाई से बांटा तो उनकी दादी ने उन्हे प्रोत्साहन देते हुए कमल व अन्य फूलों की नर्सरी प्रारंभ करने का सुझाव दिया । पूना जैसे शहर में फूलों की नर्सरी प्रारंभ कर व्यवसाय करना तो कोई भी प्रारंभ करेगा । किंतु अपने शौक के खातिर लाँड्री जैसा व्यवसाय संभालते हुए सतीष गादिया ने अपनी पत्नी सुनिता गादिया के बहुमूल्य योगदान के साथ एक अच्छी कमल की लाँड्री स्थापित कर ली । इन सबके बीच सतीष गादिया का हना है कि कमल के फूल के प्रति आकर्षित होते हुए जब उन्होंने १५ वर्ष पूर्व कमल की विस्तृत जानकारी निकाली तो उन्हे कमल के संकलन के लिए जिस जगह का भी पता प्राप्त होता था, वह वहाँ पहुँच जाते थे । आज के दौर की तरह ई मेल, मोबाईल यां फोन का प्रचलन न होने के कारण उन्हे तब जानकारी संकलन में महिनों लग जाते थे । इसके लिए बिहार, दिल्ली, लखनऊ, कलकत्ता आदि स्थानों की यात्रा करते हुए कमल की नर्सरी स्थापित करने व इसे दर्शनीय बनाने का कार्य प्रारंभ किया । सतीष गादिया का कहना है कि उनके इस कार्य के लिए सुभाष लोनवाल, रमण शिंगवी आदि सहयोगियों ने भरपूर मदद की । गादिया दंपत्ति के बारे में बता दे कि श्रीमती सुनिता गादिया के पैरों में पोलिओ एवं सतीष गादिया बोलने में अल्प विकलांगता रखते है । ऐसे में भी सतीष गादिया द्वारा संवाद स्थापना एवं श्रीमती गादिया द्वारा नर्सरी की देखभाल इस संकलन की ठोस नीव का कार्य करता है । पूना के चिंचवड की इस कमल नर्सरी को लेकर सतीष गादिया ने एक छोटे से प्लॉट की छत पर लोहे का ढाचा खडा करते हुए उसे रंगबिरंगी प्लास्टिक सीटों से पूर्ण करते हुए कमल के पौंधो को लगाने के लिए पर्याप्त सकारात्मक वातावरण तैयार करने के लिए प्लास्टिक की नली से टब व बाल्टी में कमल का रोपण किया । धीरे धीरे उनका यह प्रयास एक नर्सरी के रूप में बदल गया । सतीष गादिया बताते है कि अपनी लाँड्री के एक ग्राहक से मनुहार करते हुए उन्होंने पहला कमल का पौधा लिया था ।
कमल के फल वमन, दाह,ज्वर, श्वेतप्रदर, कुष्ठ, खुजली आदि में उपयोगी है । एवं कमल का पुष्प अतिसार, ज्वर, आंत्रिक आघात, श्वास, कास एवं विकृत पित्त में हितकारी है । कमल एक पूर्णत: आयुर्वेदिक पुष्प बताते हुए इसके बीजों व तने में कैल्शियम की अधिक मात्रा होने के कारण इसका उपयोग हड्डियां मजबूत करने में किया जाता है । धार्मिक कार्य में कमल के महत्व को देखते हुए लक्ष्मी पूजन व अन्य अनुष्ठानों में इसकी मांग खुले आम बढती है । साधारणत: जून से दिसंबर माह में अधिक फूल देने वाला यह पौधा साधारणत: १२ महिने तक फूल उत्पादन करता रहता है ।
कमल के फूल की नर्सरी को एक अच्छा व्यवसाय मानने वाले सतीष गादिया व सुनिता गादिया लोगों को इसकी स्थापना के लिए भी प्रोत्साहित करते नजर आते है । इस विषय को लेकर सतीष गादिया द्वारा अपने अनुभवों के आधार पर युवा उद्योजकों को कमल रोपण की विधी एवं संवर्धन की कला भी बताते है । श्री गादिया ने बताया कि एक सुदृढ ·मल ·का पौंधा साधारणत: १०-१५ वर्ष तक फूल देता रहता है । इसके लिए मुख्य पौधे के समीप के छोटे छोटे पौधे निकाल कर अलग करते रहना चाहिए । एक कमल के पौधें की कींमत ५० से २०० रूपये के अनुसार रहती है । जिससे साधारणत: फूलों के माध्यम से कम से कम चार से पांच हजार रूपये कमाये जा सकते है । अपनी छत पर एक अजीब सा ढाचा निर्माण कर कमल के पौधों की रोपवन करने वाले सतीष गादिया का यह शौक लाँड्री व्यवसाय के साथ साथ में कमल की नर्सरी के रूप में आर्थिक संबल प्रदान कर गया है । किंतु इसके पीछे उनकी व उनके परिवार की अथक मेहनत मौजूद है ।
गादिया दंपत्ति के अल्प व पूर्ण विकलांग होने के बावजूद उनके द्वारा अनेकों प्रजाति के कमल के पौधों की नर्सरी आज पूना में ही नही महाराष्ट्र के कई भागों में भी दार्शनिकता के लिए प्रचलित होती जा रही है ।
( सतीश गादिया का संपर्क - 9890969994 )
Yah lekh acha laga .achi jankari mili
जवाब देंहटाएंबहोत ही महत्वपूर्ण जानकारी मिली मुजे भी पोधो से प्रकृति में होने वाले हर पौधे से बहोत प्रेम है मेरे खेत मे भी 1000 से ज्यादा किस्म के पौधे है
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