युवा नमन ..
माटी का एक ढेर जो देखा, युवा काल चिर योवन जागा, कृति रूप देने की अभिलाषा ने, कलाकार अवतरित करवाया
मन में थी आकांछा गहरी, मन पर हावी वक़्त निराला, ऐसे निर्माणों के अवसर पर, नया - पुराना भेद प्रक्टाया
सधे हुए हाँथ युवा के, पर अनुभव नहीं था और पुराना, यथार्थ स्वीकार न करने के गुर ने, फिर बना दिया उसको बेगाना
कितना ही हम दिग्गज बन लें, तपे हुए पुरानो के आगे, वो साधक है और तपस्वी, उनके अनुभव वारे - न्यारे
नमन है मेरा युवा काल का, उन कांपते मजबूत हांथो को, जो इस आधुनिकता में भी, स्पर्श कर रहे मूर्त रूप के मानव को....
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