शिवसेना का एक टीवी चैनल पर हमला। निंदनीय , शर्मनाक , है..आइबिएन -लोकमत पर हमला कर दूसरी बार निकिल वागले को टार्गेट किया है..शिवसेना अपना विरोध अपने अखबार सामना में भी दर्शा सकती थी..लकिन सायद यह इलेक्शन के बाद की भोख्लाहत है..अब तो यह साबित हो गया है की मराठी मानुस- मराठी अस्मिता के लिए नही शिवसेना तो सिर्फ़ अपने लिए जीती है..दूसरी बात आइबिएन-लोकमत.. के लिए सारे पत्रकार सडको पर उतर रहे है..लकिन क्या एस समूह का कोई भी सदयस्य इन दुनिया भर के समर्थको के भावना की kadra करेगा... shaayad नही..बिल्कुल नही...?????? आप देखना चाहते है तो देख लेना २२ नोव. को शिवसेना के बड़े नेता और जलगाँव के शिवसेना विधायक श्री सुरेश जैन का जन्मदिन है..और २२ नोव. को जलगाँव लोकमत में विज्ञापनो का हाल ही यह साबित कर देगा...खैर.. इस हमले की खुल कर निंदा करनी चाहिए..महारास्त्र सरकार की ख़ामोशी ही ऐसे लोगो को बढ़ावा दे रही है॥ शुभकामना..
जगजीत , आशा और लता जी.. वाह क्या बात है
ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह , स्वरकोकिला लता जी व आशा जी की जुगलबंदी का यह गीत लाजवाब, अप्रतिम है. गीत की शुरुवात में जगजीत जी द्वारा कहे गए शेर के अंदाज़ को गीत के अंत तक महसूस किया जा सकता है. आइना देख के बोले यह सँवरने वाले अब तो बे -मौत मरेंगे मेरे मरने वाले देखके तुमको होश में आना भूल गए याद रहे तुम औ ज़माना भूल गए जब सामने तुम जब सामने तुम , आ जाते हो क्या जानिये क्या हो जाता है कुछ मिल जाता हा i, कुछ खो जाता है क्या जानिये क्या हो जाता है चाहा था यह कहेंगे सोचा था सोचा था वो कहेंगे आये वोह सामने तो , कुछ भी न कह सके बस देखा के उन्हें हम. देख कर तुझको यकीन होता है कोई इतना भी हसीं होता है देख पाते हैं कहाँ हम तुमको दिल कहीं होश कहीं होता है हो जब सामने तुम , आ जाते हो क्या जानिये क्या हो जाता है कुछ मिल जाता है , कुछ खो जाता हा i क्या जानीय क्या हो जाता है आ कर चले न जाना , ऐसे नहीं सताना दे कर हंसी लबों को , आँखों को मत रुलाना देना न बेक़रारी दिल का करार बन के यादों में खो न जाना तुम इंतज़ार बन के , इंतज़ार बन के भूल कर तुमको न जी पाएंगे साथ तुम होगी जह
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