शिवसेना का एक टीवी चैनल पर हमला। निंदनीय , शर्मनाक , है..आइबिएन -लोकमत पर हमला कर दूसरी बार निकिल वागले को टार्गेट किया है..शिवसेना अपना विरोध अपने अखबार सामना में भी दर्शा सकती थी..लकिन सायद यह इलेक्शन के बाद की भोख्लाहत है..अब तो यह साबित हो गया है की मराठी मानुस- मराठी अस्मिता के लिए नही शिवसेना तो सिर्फ़ अपने लिए जीती है..दूसरी बात आइबिएन-लोकमत.. के लिए सारे पत्रकार सडको पर उतर रहे है..लकिन क्या एस समूह का कोई भी सदयस्य इन दुनिया भर के समर्थको के भावना की kadra करेगा... shaayad नही..बिल्कुल नही...?????? आप देखना चाहते है तो देख लेना २२ नोव. को शिवसेना के बड़े नेता और जलगाँव के शिवसेना विधायक श्री सुरेश जैन का जन्मदिन है..और २२ नोव. को जलगाँव लोकमत में विज्ञापनो का हाल ही यह साबित कर देगा...खैर.. इस हमले की खुल कर निंदा करनी चाहिए..महारास्त्र सरकार की ख़ामोशी ही ऐसे लोगो को बढ़ावा दे रही है॥ शुभकामना..
चालीसगांव में पड़ी विश्व कला की धरोहर - " केकी मूस "
भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु बाबूजी से मिलने दो बार चालीसगांव आये थे. बताते है कि 48 साल तक केकी मुस उर्फ़ बाबूजी ने चालीसगांव से बाहर सिर्फ दो बार कदम रखा. एक बार मां की मृत्यु पर उन्हें औरंगाबाद जाना पड़ा. दूसरी बार जब वे अपने बंगले से निकलकर चालीसगांव रेलवे स्टेशन पर विनोबा भावे की तस्वीर लेने आये. मां ने पहचानी प्रतिभा - चालीसगांव में केकी मूस के पिता सोडा वाटर की फैक्टरी के साथ-साथ शराब की दुकान चलाते थे. बेटा कला की पढ़ाई करने विदेश जाना चाहता था. पर मां-बाप इकलौते बेटे को इतनी दूर भेजने के लिए तैयार नहीं थे. वर्ष 1934-35 में पिता की मौत के बाद मां पिरोजाबाई ने फैक्टरी की जिम्मेदारी अपने कंधे लेते हुए बेटे को इंग्लैण्ड जाने की इजाजत दे दी. चालीसगांव में अब केकी मूस उर्फ़ बाबूजी के नाम पर उनके कुछ साधकों द्वारा केकी मूस आर्ट ट्रस्ट चलाया जा रहा है. ट्रस्ट के सचिव कमलाकर सामंत ने बताया कि बाबू जी ने 300 से अधिक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे . लेकिन उनके जीते जी यह बात कि...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें