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जून, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भरत नाट्यम की मंझी हुई कला कारा है शालिनी राव,

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भरत नाट्यम की   मंझी हुई   कला कारा है शालिनी राव,  बेटी की   ही चाह के   लिए करती थी प्रार्थना विशाल चड्ढा, जलगांव जलगांव - बिहार में जन्मी एवं आसाम में पली-बढी शालिनी राव ने जलगांव में जिलाधिकारी निरंजन सुधांशू की   पत्नी के   परिचय के   साथ अपनी एक अलग पहचान को   स्थापित करते हुए जलगांव से विदा ली। जलगांव के   जिलाधिकारी रह चुके   निरंजन सुधांशू के   एक विशेष प्रशिक्षण के   लिए चयन होने पर बैंगलोर स्थानांतरण के   साथ श्रीमती शालिनी राव ने अपने जलगांव के   अनुभव को   खुलकर व्यक्त करते हुए इस शहर से स्वयं को   भावनात्मक रुप से जोड लिया। श्रीमती शालिनी राव ने जलगांव से जाने से पहले अपने भीतर समायी एक कला को   सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुत करते हुए शहर के   लोगों को   यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि , जलगांव के   जिलाधिकारी निरंजन सुधांशू व उनकी   पत्नी श्रीमती शालिनी राव के   रुप में दो मंझे हुये कलाकार अब तक जलगांव में मौजूद थे। और स्थानीय लोगों ने उनकी   कला को   करीब से महसूस भी नहीं कर पाया। बिहार में आयएएस अधिकारी पिता के   घर जन्मी शालिनी राव को   बचपन से ही नृत्य का शौ

रामदेव बाबा रह सकते है एक माह तक भूखे

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  रामदेव बाबा अनशन  में पौंधो व जडी  बुटियों के दम पर  रह सकते है एक माह  तक भूखे... जलगांव - भ्रष्टाचार व काले धन के मुद्दे पर देशभर में भारत स्वाभिमान यात्रा के माध्यम से एक सशक्त जनाधार खडा करते हुए योगगुरू रामदेव बाबा द्वारा आज ४ जून शनिवार से नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर प्रारंभ किये जा रहे अनिश्चितका लीन भूख हड़ताल आंदोलन पर देश भर की निगाहे टिकी हुई है । इस आंदोलन में रामदेव बाबा के हठयोग के आगे भले ही सरकार ने घुटने टेकने की मुद्रा में हो किंतू हकिकत यह है कि यदि आज शनिवार ४ जून से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल प्रारंभ होती है तो कोई भी   सहज रूप से एक माह यां इससे अधिक समय तक बिना कुछ खाए भूखा रहा जा सकता है । यह कोई चमत्कार नही बल्कि भारतीय प्राकृतिक संपदा में मौजूद जडीबुटियों व पौधों का   कमाल हो सकता है । प्राप्त जानकारी के अनुसार विभिन्न प्रका र की वनस्पतियों में ऐसे गुण अवशेष मौजूद रहते है, जिन्हे इन्ही हकिमो, आयुर्वेदाचार्यों यां बॉटनिकल विशेषज्ञों द्वारा पहचानते हुए समाज में विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया जाता है । रामदेव बाबा के भूख हड़ताल के विषय पर उनके योग एवं आय

रघुपति सहाय उर्फ़ प्रख्यात शायर फिराक गोरखपुरी

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प्रख्यात शायर फिराक गोरखपुरी       रघुपति सहाय का जन्म: २८ अगस्त १८९६ को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार माने जाने वाले रघुपति सहाय कला स्नातक में पूरे उत्तर प्रदेश में चौथा स्थान पाने के बाद आई.सी.एस. में चुने गये। किन्तु उन्होंने देश के क्रन्तिकारी हालातों को देखते हुए नोकरी छोड़ कर स्वराज आन्दोलन की ओर रुख किया । लगभग डेढ़ वर्ष की जेल की सजा काटने के बाद वे नेहरु जी के संपर्क में आये और अखिल भारतीय कांग्रेस के कार्यालय में अवर सचिव की जगह पर बैठा दिए गए । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापक रहे रघुपति सहाय को उनकी उर्दू काव्यकृति ‘गुले नग्‍़मा’ के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया । रघुपति सहाय की शायरी में गुल-ए-नगमा, मश्अल, रूहे-कायनात, नग्म-ए-साज, गजालिस्तान, शेरिस्तान, शबनमिस्तान, रूप, धरती की करवट, गुलबाग, रम्ज व कायनात, चिरागां, शोअला व साज, हजार दास्तान, बज्मे जिन्दगी रंगे शायरी के साथ हिंडोला, जुगनू, नकूश, आधीरात, परछाइयाँ और तरान-ए-इश्क जैसी खूबसूरत नज्में और सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जैसी रुबाइयों का बड़ा स