खुखरायण समाज को नाज होना चाहिए अपने इस हीरे पर..

खुखरायण  समाज को नाज होना चाहिए अपने इस हीरे पर..


संगीतकार श्री मदन मोहन कोहली का जन्म 25 जून 1924 को बगदाद इराक में हुआ था.श्री मदन मोहन कोहली के पिता श्री राय बहादुर चुन्नीलाल कोहली शुरू से ही फिल्म व्यवसाय से जुड़े थे. श्री राय बहादुर बाम्बे टाकीज और फिल्मीस्तान जैसे बडे फिल्म स्टूडियो में भागीदार थे. जिसके चलते मदन मोहन कोहली के घर का माहौल फि़ल्मी था और वह फिल्मों में एक बडा नाम बनना चाहते थे.किन्तु श्री राय बहादुर जी फि़ल्मी दुनिया को कॅरीब से जानते थे, इस लिए उन्होंने मदन मोहन को सेना में भर्ती होने देहरादून भेज दिया.मदन मोहन ने 1943 में सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य करना शुरू भी कर दिया.किन्तु दिल्ली स्थानांतरण होने के बाद मनमोहन एक बार फिर संगीत की तरफ खिचने लग गये  और वहां उन्होंने  लेफ्टिनेंट की नौकरी छोड़ कर लखनऊ आकाशवाणी में काम प्रारंभ कर दिया .लखनऊ आकाशवाणी में ही उन्हें संगीत जगत से जुड़े उस्ताद फैयाज खान, उस्ताद अली अकबर खान, बेगम अख्तर और तलतमहमूद जैसी मानी हुई हस्तियों से सीखने का मौका मिला. जिन्के कहने पार ही मदन मोहनजी ने लखनऊ से मुम्बई की रुख किया और मुंबई में  एस.डी.बर्मन, श्याम सुंदर और सी.रामचंद्र जैसे प्रसिद्व संगीतकारों के सहायक के रूप में  काम करना शुरू किया .

अपनी मेहनत और लगन के  बल पर मदन मोहन जी ने वर्ष 1950 में आँखें फिल्म में स्वतन्त्र रूप से पहली बार संगीत दिया और  हमसे ना दिल को लगानाजैसा  हिट गीत दिया. अपने लगभग ढाई दशक के सिने कैरियर में मदन मोहन जी ने 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत दिया किंतु  उनमें से अधिकतर फिल्में बी ग्रेड की थीं.मदन मोहन जी के 20 साल के संगीत के सफऱ में उनके साथ आशा भोंसले ने 190 और लता मंगेशकर ने 210 फि़ल्मी गीत गाये . फिल्म फेयर पुरस्कार में वो कौन थी के लिए मदन मोहन जी का  नामांकन हुआ था किंतु चाल बाजी के चलते उनको यह पुरस्कार नही मिला . दस्तक फिल्म के लिए मिले राष्ट्रीय सम्मान पुरूस्कार को लेने मदन जी ,संजीव कुमार और रेहाना के साथ गये थे.क्रिकेट,बॅडमिंटन ,टेनिस खेलों के शौकीन मदन जी बहुत बढिय़ा खाना बनाते थे स्वाभाव से बेहद संवेदनशील मदन मोहन जी को फि़ल्मी दुनिया के स्वार्थी पहलु ने बेहद दुखी और निराश किया जिसके चलते वह  बहुत अधिक शराब पीने लगे और लीवर के सिर्रोहोसिस के कारण 51 की आयु में ही 14 जुलाइ 1975 को छोड़ कर चले गये. 
 

मदन मोहन जी के संगीत से सजीं अदालत, अनपढ़, मेरा साया, दुल्हन एक रात की, हकीकत, हिंदुस्तान की कसम, जहानारा, हीर राँझा, मौसम, लैला मजनू ,महाराजा, वो कौन थी आदि.हमेशा याद रखीं जाएँगी.कुछ वर्ष पहले आई फिल्म  वीर-जारा में  मदन मोहन कोहली के बेटे संजीव कोहली के कहने पर  यश चोपडा ने मदन जी की पड़ी हुई अप्रयुक्त धुनों को फिल्म में इस्तमाल किया जो धीमा संगीत होने के बावजूद बेहद हिट हुईं.

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