जन्मदिन की अशेष ,अनंत शुभकामनायें

कहीं पर पढ़ा था की..
पिता की मौजदगी सूरज की तरह होती है,

सूरज गरम जरुर होता है, अगर न हो तो अँधेरा छा जाता है । 



.. जिसने भी कहा है, सही ही कहा है.. यह अहसास इंसान को तब होता है जब वह अपने अहम् से बाहर निकल कर पिता की नर्म मुलायम गर्मी को महसूस करता है.. मैं हमेशा से अपने पिता के बारे में अपने भाई-बहनो, मित्रों,अपनों को कहा करता हूँ की यह क्या कम है की हमें आदरणीय- पूज्यनीय पापाजी ने इतना इंसान बनाया की हम सब समाज में अपना स्थान कायम कर सके.. शोहरत दौलत तो आती जाती रहेगी.. किन्तु कभी हममें घमंड-गुमान न आये यह आदर्श उन्ही ने दिया..

आदरणीय पापाजी का जन्मदिन शायद पहली बार इस तरह से मनाया हो.. पापाजी आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु हो, हमेशा प्रसन्न रहें.. हम नादान बच्चों पर अपनी प्रेरणात्मक सीख के साथ आशीष बनाये रखें... इन खुशियों को बिखेरने के लिए मेरे छोटे विपुल व बहु सोनम का शुक्रिया....











आपका अपना समूचा परिवार

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