भूषण को जरूरत है मददगार हाथों की..
जिंदगी से जूझते कलाकार भूषण को जरूरत है मददगार हाथों की..
पिता द्वारा अपनी किडनी देने के बावजूद संघर्ष जारी है जीवन का..
जलगांव शहर के रंगमंच, पथनाटय एवं विभिन्न कलाओं से जुडे एक युवा कलाकार भुषण प्रमोद पाटिल को अपने जन्मजात हुनर कला के मंचन को आज विपत्ति की स्थिति में अस्पताल के बिस्तर पर पडे सजीवता में एक किरदार कि तरह निभाना पड रहा है । लगभग १८ से २० वर्ष की आयु में जलगांव के पथनाटयों, रंगमंच के किरदारों यहाँ तक कि राज्यनाटय स्पर्धा में अपनी कला का लोहा मनवाते हुए पुरस्कृत होने वाले इस नौजवान भुषण प्रमोद पाटिल को आज परिस्थितियों ने उछलने, कूदने एवं कुछ कर दिखाने की उम्र में अस्पताल के बिस्तर पर इंजेक्शन, दवांओं,ऑपरेशन आदि के साथ वेंटिलेटर पर जीने पर मजबूर कर दिया है । आलम यह है कि साधारण परिस्थिति के इस परिवार को अपनी सारी पूंजी भूषण के इलाज पर लगा देने के बाद क़र्ज़ में डूबना पड़ रहा है । फिर भी भूषण के पिता- माता और रिश्तेदारों ने हार न मानते हुए अपना सघर्ष जारी रखा है, किन्तु हकीकत यह है कि इस वक़्त भूषण और उसके परिवार को मददगार हांथों कि सख्त जरुरत है । विदित हो कि जलगांव के रंगमंच का यह मंजा हुआ कलाकार हाल ही में पुना के एक निजी अस्पताल में अपनी किडनी प्रत्यर्पित कर के जलगाँव लौटा है । लगभग सात माह से पुना के अस्पताल में स्वस्थ हो कर फिर से रंगमंच पर सजीव किरदार निभाने कि आशाओं से जूझ रहे भूषण कि हालत में व्यापक सुधार न होने और आर्थिक मार के चलते भूषण कि परिजन उसे जलगाँव ले आये , जहाँ उसे और हालत बिगड़ने के चलते वेंटिलेटर पर रखा गया है । भुषण पाटिल की जन्मजात एक किडनी न होने के चलते जैसे तैसे उसका बचपन तो बीत गया , किन्तु अब इस युवा काल में उसकी बची हुई एक किडनी ने भी धोखा दे दिया । जिसके चलते उसकी सारी प्रक्रियाएं बिस्तर पर ही सिमट कर रह गयी । भुषण को जीवनदान देने के लिए एवं फिरसे हसता खेलता रंगमंच पर सजीव किरदार निभाने के लिए संबल करने हेतु उसके पिता प्रमोद बलवंत पाटिल एवं माँ ने अपनी एक किडनी देने का निर्णय लिया । किन्तु पैसे के अभाव में दिन पर दिन व्यतीत होते गये । अंतत: मेडिकल जांच एवं भुषण पाटिल की बढती आवश्यकताओं के चलते पिता प्रमोद पाटिल ने अपनी किडनी भुषण को देकर उसे खुशी लौटाने का प्रयास किया । इन सबके बीच एक सामान्य परिवार व जलगांव के उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय में कार्य करने वाले श्री प्रमोद पाटिल की आर्थिक हालत ठीक न होने के बावजूद भुषण के लिए पूना में उसका उपचार कराते हुए अपनी एक किडनी को भूषण के शरीर में प्रत्यारोपित कराया । इस परिवार के करीबियों का कहना है कि श्री प्रमोद पाटिल के पास बेचने के लिए खुद का मकान यां कुछ और भी नही है जिससे वह पैसे का बडा इंतजाम कर सके । इस परिवार की हालत होने के चलते उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा निजी स्तर पर अपने वेतनों में से पैसा इकठ्ठा कर के, विश्वविद्यालय के अधिकारियों व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर अलग से सहायता करते हुए श्री प्रमोद पाटिल को रकम इकठ्ठा कर के दी है । किन्तु यह सब सहायता ज्यादा दिन तक नही टिक सकेगी । क्यों कि रंगमंच के पर्दे पर हसाने यां जीवन की सच्चाईयों को सजीवता से प्रस्तुत करने वाले इस किरदार के इलाज एवं किडनी प्रत्यारोपण पर लगभग १० लाख रूपये तक का खर्च हो चुका है । और अभी भी भूषण अपनी जिन्दगी से जूझ रहा है । भूषण पाटिल के बारे में इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि पूना में अचानक गंभीर तबीयत के चलते अस्पताल में भर्ती होने से ठीक एक दिन पहले भूषण ने जलगांव में एक समाचार पत्र द्वारा आयोजित की गयी बडी नाटय स्पर्धा के अंतर्गत खेल खंडोबा के रूप में व्यक्तिगत उत्कृष्ट अभिनय का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार प्राप्त किया था ।
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