गणितज्ञ भास्कराचार्य जयती पर विशेष

गणितज्ञ भास्कराचार्य जयती पर विशेष -


      गणितज्ञ भास्कराचार्य का जलगांव जिले से बहुत बडा संबंध बताया जाता है। गणित व खगोलशास्त्र के अध्ययन में भास्कराचार्य को जलगांव जिले में ही प्रगती मिलने के साक्ष्य भी मौजूद है। इतिहास में इसवी सन ११५३ से ५४ के बीच जलगांव जिले के चालीसगांव तहसील में स्थित पाटणादेवी परिसर में मिले संस्कत शिला लेखों में खगोलशास्त्री भास्कराचार्य का उल्लेख प्राप्त होता हेै। भास्कराचार्य के पौत्र के रूप में चांगदेव ने भी बडे ज्योतिष होने का सम्मान इसी जिले में प्राप्त किया। पूराने शिलालेखों के अनुसार चांगदेव ने अपने दादा के सिद्धांत शिरोमणी व अन्य ग्रंथों के अध्ययन के लिये पाटणा परिसर में एक बडा मट निर्माण करने की भी इतिहास में जानकारी मौजूद है। इतिहास कारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रिय किर्ती के प्रख्यात गणितज्ञ, खगोल शास्त्री भास्कराचार्य चालीसगांव के पाटणे यां पाटणा देवी परिसर में सन १११० से ११८५ तक निवास करते थे। भास्कराचार्य ने इसी स्थान पर अपनी विधवा बेटी लिलावती के लिये गणित शास्त्र पर गं्रथ लिखा था। सिद्धांत शिरोमणी गं्रथ में गणित के शुन्य का उपयोग दर्शाया गया है। इस गं्रथ के ४ अध्यायों में लिलावती अध्याय व बीजगणित अध्याय का समावेश है। संस्कृत शिलालेखों के अनुसार भास्कराचार्य ने चालीसगांव के पाटणे में इसवी सन ११५० में यह ग्रंथ लिखा। खगोल शास्त्र पर भी भास्कर आचार्य ने वासना भाष्य व ज्योतिष शास्त्र पर करणकुतूहल ग्रंथ भी सन ११७८ में इसी स्थान पर लिखे जाने की जानकारी प्राप्त होती है।

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