खान्देश की बारह गाडी खींचने की परम्परा

खान्देश की बारह गाडी खींचने की परम्परा का श्रद्धात्मक प्रदर्शन

 
 जलगांव शहर में भगवान खंडेराव की पूजा अर्चना के साथ शक्ती का प्रदर्शन करते हुए भगत परिवार द्वारा अपनी असीम संभावनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। खंडेराव की पारंपरिक यात्रा के उपलक्ष्य में चली आ रही बारह गाडियां खींचने की यह परंपरा श्रध्दा व उत्साह के साथ मनाई जाती है । शहर के बुजूर्ग व जानकार बताते है की जलगांव में इस बारह गाडी खींचने की सवा सौ साल पुरानी ऐतिहासिक परम्परा श्री खंडेराव महाराज की यात्रा के रुप में विद्यमान है। शहर के पांजरापोल के अलावा अक्षय तृतीया के उपरान्त यां अक्षय तृतिया के दिन पिंप्राला व मेहरूण की बारह गाडी खींचने की परंपरा पूरी की जाती है।  भीषण गर्मी में भी इस  परंपरा का निर्वाह करते हुए पिंप्राला में बारहगाडी खींचने का आयोजन उत्साह व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ।  पिंप्राला के भवानी देवी मंदिर व अहिर स्वर्णकार पंच मंडल के संयुक्त तत्वाधान में पाच दिवसीय वैशाख महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के अंतर्गत ही पिंप्राला के भगत हिरालाल बोरसे लोगों की भारी भीड के बीच बारहगाडियां खींचने की परंपरा का निर्वाह करते हैं । पिंप्राला के पुल परिसर के निकट पटवारी कार्यालय तक भगवान खंडेराव के येलकोट येलकोट जयजयकार भरे नारों के साथ श्रद्धालुओं  द्वारा बारहगाडियां खींचने व इस लगभग सवा सौ साल पुरानी परंपरा का निर्वाह किया जाता है। 

  बताया जाता है कि स्थानीय व ग्रामीण  लोग अपनी मन्नते पूरी करने के लिए विभिन्न तरीकों से श्री खंडेराव महाराज की आराधना करते है। खान्देश में शक्ति एवं श्रद्धा के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के रुप में बारह गाडी खींचने को लेकर चली आ रही परम्पराओं में पुराने लोगों को श्रध्दा वश एवं नयी पीढी को उत्साह वश इस दिन का इंतजार रहता है। इस ऐतिहासिक परंपरा में बारह बैल गाडियों में बिना बैलों को जोतते हुए सभी बारह गाडियों को एक दूसरे से बांध दिया जाता है। इतना ही नहीं इन बारह बैल गाडियों पर श्रध्दालु बैठते हुए खंडेराव महाराज की यां भवानी माता की जयजयकार करते है। तदोउपरान्त किसी एक व्यक्ति जिसे भगत कहा जाता है, उसके द्वारा खंडेराव महाराज की आराधना कर इस सारे आपस में जुडे संकलन को अकेले ही खींचते हुए आगे बढाया जाता है ।


 लोगों की श्रद्धा है कि इस पारम्परिक व महत्वपूर्ण अवसर पर इन बारह गाडियों को खींचने वाला भगत स्वरूप व्यक्ति ईश्वरीय शक्ति से साक्षात जुडते हुए सहजता से इन लोगों से भरी बारह गाडियों को खींचता हुआ आगे ले जाता है। इस परम्परा को देखने के लिए दूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से लोग  कार्यक्रम स्थल पर पहुँचते है । और बारह गाडियों को खींचने वाले भगत का उत्साहवर्धन करने के लिए जोर जोर से जयकार व नारेबाजी करते है। कार्यक्रम के प्रारंभ में भगत हिरालाल बोरसे को चमत्कारी शक्तियों के आह्वान के साथ बारह बैलगाडी खींचने के लिये मंत्रोच्चार के बीच तैयार किया जाता है । जिसके उपरांत पूरे जोश में आये भगत में उत्साह का संचार रखने के लिये भगवान खंडेराव की जयजयकार के नारे लगाये जाते हुए उत्साह निर्माण करते हैं । बच्चों, महिलाओं व युवा, बुजुर्गाे की भारी भीड के बीच यह अध्यात्मिक अनुष्ठान सफलता के साथ पूरा किया जाता है । इस आयोजन के लिये पिंप्राला परिसर में खाद्य पदार्थों व अन्य वस्तुओं की दुकाने लगाकर मेले का स्वरूप भी दिया जाता है।

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