राज्य में दसवीं कक्षा के मात्र ४ प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारा हिंदी को

दसवीं कक्षा के मात्र ४ प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारा हिंदी को 


हाल ही में १० वीं कक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद राज्य भर के कुल १० वीं कक्षा उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों की संख्या का ४ प्रतिशत ही हिंदी भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकार करने में सफल हुआ। जबकि हिंदी भाषा को दूसरे व तीसरे भाषा प्रारूप में स्वीकार करने वालों की संख्या लगभग ८१ प्रतिशत रही। देश में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हिंदी भाषा के प्रोत्साहन के लिये निर्णय लेकर जो सूचना जारी की गई है। उससे भाषा वाद का मुद्दा सामने आने लगा। दक्षिण प्रदेशों में पहले से ही हिंदी भाषा के उत्थान यां प्रमुखता को लेकर भाषा वाद का आंदोलन किया जाता रहा। ऐसे में स्कूली शिक्षा में हिंदी की अनिवार्यता यां विद्यार्थियों के रूझान, आकर्षण भी भाषा की स्थिती को बयान कर रहे है। महाराष्ट्र में १० वीं कक्षा के सामने आये नतिजों में हिंदी भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारने वालों की संख्या उर्दु भाषा को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकारने वालों की संख्या के रूप में काफी कम है। हिंदी भाषा को दसवीं कक्षा क ी परीक्षा प्रणाली में दूसरी व तीसरी भाषा के रूप में चयनित कर ८१ प्रतिशत विद्यार्थियों ने थोडी सकारात्मक स्थिती निर्माण की है। इन सब में दूसरी व तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को चुनकर मुंबई संभाग के विद्यार्थियों द्वारा एक सकारात्मक दृष्टीकोन प्रस्तुत किया है। 

         महाराष्ट्र में इस वर्ष दसवीं कक्षा के १५ लाख ४९ हजार ७८४ विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। जिनमें से १३ लाख ६८ हजार ७९६ विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। राज्य भर के १० वीं कक्षा में हिंदी को प्रथम भाषा के रूप में स्वीकर करने वाले ५५ हजार ५५७ विद्यार्थियों में से ५२ हजार १५७ विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। जबकि हिंदी को द्वितीय व तृतीय भाषा के रूप में स्वीकार करने वाले ११ लाख ७१ हजार ८२९ विद्यार्थियों में से ११ लाख ४ हजार ७५५ विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। राज्य के ९ विभागों में १० वीं कक्षा की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के परिणामों को देखे तो पुना विभाग में हिंदी प्रथम भाषा के रूप में १२५९ विद्यार्थियों में से १२१३ विद्यार्थी पास हुए। जबकि हिंदी को दूसरी व तीसरी भाषा के रूप में २ लाख २ हजार ५१० विद्यार्थियों में से १ लाख ९५ हजार ३२७ विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। नागपुर संभाग में प्रथम भाषा के रूप में १४७०६ विद्यार्थियों में से १३५६७ विद्यार्थियों ने व द्वितीय-तृतीय भाषा के रूप में १ लाख ३८ हजार ५२२ विद्यार्थियों में से १ लाख २५ हजार ३३० विद्यार्थी सफल हुए। औरंगाबाद में प्रथम भाषा के रूप में ६१५ विद्यार्थियों में से ५५४ विद्यार्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। जबकि द्वितीय-तृतीय भाषा में १ लाख १८ हजार १९६ विद्यार्थियों में से १ लाख ११ हजार ७७० विद्यार्थी पास हुए। मुंबई में प्रथम भाषा के रूप में ३६४०३ विद्यार्थियों में से ३४४८९ व द्वितीय-तृतीय भाषा के रूप में २ लाख २१ हजार ९७२ विद्यार्थियों में से २ लाख १० हजार ७९९ विद्यार्थियों ने सफलता अर्जित की। कोल्हापुर में प्रथम भाषा के रूप में सबसे दयनिय स्थिती के साथ हिंदी भाषा को विद्यार्थियों ने स्वीकार किया। कोल्हापुर संभाग में मात्र ४१ विद्यार्थियों ने हिंदी भाषा को प्रथम भाषा के रूप में परीक्षा के अंतर्गत चुना। यह सभी ४१ विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। कोल्हापुर संभाग में ही द्वितीय व तृतीय भाषा के रूप में १ लाख १६ हजार ७३६ विद्यार्थियों में से १ लाख १३ हजार १४७ विद्यार्थी  उत्तीर्ण हुए। अमरावती संभाग में १६११ विद्यार्थियों में से १४०५ विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में एवं १ लाख २५ हजार ९११ विद्यार्थियों में से १ लाख १५ हजार २७८ विद्यार्थी सफल हुए।  नासिक संभाग में ८४० विद्यार्थियों में से ८२० एवं द्वितीय-तृतीय भाषा के रूप में १ लाख ४५ हजार ७३१ विद्यार्थियों में से १ लाख ३७ हजार ६४७ विद्यार्थियों ने विषय उत्तीर्ण किया। लातूर संभाग के ८२ विद्यार्थियों में से ६८ विद्यार्थियों ने हिंदी प्रथम भाषा के रूप में सफलता हासिल की। जबकि द्वितीय व तृतीय भाषा के रूप में ७४ हजार ६२ विद्यार्थियों में से ६७ हजार ८२१ विद्यार्थियों ने विषय उत्तीर्ण किया। कोंकण संभाग में प्रथम भाषा के रूप में हिंदी को किसी भी विद्यार्थी ने नहीं अपनाया। जबकि २८ हजार १८९ विद्यार्थियों में से २७ हजार ६३६ विद्यार्थियों ने हिंदी को द्वितीय-तृतीय भाषा के रूप में उत्तीर्ण किया। राज्य में हिंदी की तुलना में प्रथम भाषा के रूप में उर्दू के ७९ हजार १३ विद्यार्थियों में से ७८ हजार ४३३ विद्यार्थियों ने प्रथम भाषा के रूप में सफलता अर्जित की। जो कि हिंदी की तुलना में २२ हजार ८७६ विद्यार्थियों के रूप में अधिक है। शैक्षणिक दृष्टी से भले ही आगे आने वाली कक्षाओं में हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम के प्रारूप सक्षम नहीं माना जा रहा हो। किन्तू १० वीं कक्षा के प्रारूप में मराठी, अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी व अन्य भाषाएं व्यक्तित्व निखार यां बोली भाषा के रूप में अस्तित्व रखती है। 


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