भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु बाबूजी से मिलने दो बार चालीसगांव आये थे. बताते है कि 48 साल तक केकी मुस उर्फ़ बाबूजी ने चालीसगांव से बाहर सिर्फ दो बार कदम रखा. एक बार मां की मृत्यु पर उन्हें औरंगाबाद जाना पड़ा. दूसरी बार जब वे अपने बंगले से निकलकर चालीसगांव रेलवे स्टेशन पर विनोबा भावे की तस्वीर लेने आये. मां ने पहचानी प्रतिभा - चालीसगांव में केकी मूस के पिता सोडा वाटर की फैक्टरी के साथ-साथ शराब की दुकान चलाते थे. बेटा कला की पढ़ाई करने विदेश जाना चाहता था. पर मां-बाप इकलौते बेटे को इतनी दूर भेजने के लिए तैयार नहीं थे. वर्ष 1934-35 में पिता की मौत के बाद मां पिरोजाबाई ने फैक्टरी की जिम्मेदारी अपने कंधे लेते हुए बेटे को इंग्लैण्ड जाने की इजाजत दे दी. चालीसगांव में अब केकी मूस उर्फ़ बाबूजी के नाम पर उनके कुछ साधकों द्वारा केकी मूस आर्ट ट्रस्ट चलाया जा रहा है. ट्रस्ट के सचिव कमलाकर सामंत ने बताया कि बाबू जी ने 300 से अधिक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे . लेकिन उनके जीते जी यह बात कि...
मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र की सीमा पर मुक्ताईनगर तहसील के समीप स्थित श्री इच्छादेवी माता का मंदिर एक तीर्थक्षेत्र की गरिमा स्थापित करता है। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर तहसील में आने वाले इच्छापुर गांव में मौजूद इस प्रख्यात मंदिर का दोनों राज्यों में बेहद महत्व है। शारदीय नवरात्र उत्सव पर इच्छादेवी माता मंदिर पर मुक्ताईनगर व आसपास के श्रध्दालुओं द्वारा बडी संख्या में पहुंचकर आराधना की जाती है। महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित इस ख्याती वाले मंदिर में सर्वपित्र अमावस्या की पूजा के बाद स्नान आदि के उपरान्त से ही श्रध्दालुओं का आगमन प्रारंभ हो जाता है। बुरहानपुर से २३ किमी व मुक्ताईनगर शहर से मात्र १७ किमी दूरी पर स्थित इस देवी के मंदिर को लगभग ४६० वर्ष पुराना माना जाता है। मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र की सीमा पर बसे लोगों द्वारा इस मंदिर के प्रति बडी श्रध्दा रखी जाती है। नवरात्र उत्सव प्रारंभ होते ही खान्देश से बडी संख्या में श्रध्दालुओं द्वारा श्री ईच्छादेवी मंदिर पहुंचकर देवी की पूजा अर्चना के...
गणितज्ञ भास्कराचार्य जयती पर विशेष - गणितज्ञ भास्कराचार्य का जलगांव जिले से बहुत बडा संबंध बताया जाता है। गणित व खगोलशास्त्र के अध्ययन में भास्कराचार्य को जलगांव जिले में ही प्रगती मिलने के साक्ष्य भी मौजूद है। इतिहास में इसवी सन ११५ ३ से ५४ के बीच जलगांव जिले के चालीसगांव तहसील में स्थित पाटणादेवी परिसर में मिले संस्कत शिला लेखों में खगोलशास्त्री भास्कराचार्य का उल्लेख प्राप्त होता हेै। भास्कराचार्य के पौत्र के रूप में चांगदेव ने भी बडे ज्योतिष होने का सम्मान इसी जिले में प्राप्त किया। पूराने शिलालेखों के अनुसार चांगदेव ने अपने दादा के सिद्धांत शिरोमणी व अन्य ग्रंथों के अध्ययन के लिये पाटणा परिसर में एक बडा मट निर्माण करने की भी इतिहास में जानकारी मौजूद है। इतिहास कारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रिय किर्ती के प्रख्यात गणितज्ञ, खगोल शास्त्री भास्कराचार्य चालीसगांव के पाटणे यां पाटणा देवी परिसर में सन १११० से ११८५ तक निवास करते थे। भास्कराचार्य ने इसी स्थान पर अपनी विधवा बेटी लिलावती के लिये गणित शास्त्र पर गं्रथ लिखा था। सिद्धांत शिरोमणी गं्रथ...
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